बढ़ सकती है आधार लिंक की डेडलाइन, RBI, ट्राई से चर्चा करेगा UIDAI

सुरभि अग्रवाल, नई दिल्ली
आधार सिस्टम में सुरक्षा के नए उपाय किए जाने के बाद आधार नंबर को आवश्यक सेवाओं से जोड़ने की नई डेडलाइन की जरूरत महसूस की जाने लगी है। इस संबंध में यूनीक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया के वरिष्ठ अधिकारी देश के बैंकिंग और टेलिकॉम रेग्युलेटरों के साथ चर्चा करेंगे ताकि 31 मार्च के बजाय नई डेडलाइन तय करने या नहीं करने के बारे में निर्णय किया जा सके। आने वाले हफ्तों में यूआईडीएआई के अधिकारी कई मंत्रालयों, आरबीआई और टेलीकॉम रेग्युलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया के अधिकारियों के साथ विचार-विमर्श करेंगे।

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने ईटी को बताया, ‘परमानेंट अकाउंट नंबर और बैंक खातों के मामले में तो इनकम टैक्स एक्ट और प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत आधार नंबर देना जरूरी है। लिहाजा इन पर कोई असर पड़ने की गुंजाइश नहीं है।’

नए सिक्यॉरिटी प्रोटोकॉल्स में यूजर्स को वर्चुअल आईडी के जरिए ट्रांजैक्शन करने की इजाजत देने की बात है। इसमें सर्विस प्रोवाइडर्स से वर्चुअल टोकन जारी करने की अपेक्षा की गई है ताकि असल यूनीक नंबर छिपा रहे। यह व्यवस्था हालांकि जून से लागू हो सकेगी। अधिकारी ने कहा, ‘आधार की जरूरत हर उस स्कीम में होगी, जिसमें कंसॉलिडेटेड फंड ऑफ इंडिया से पैसा जाता हो। हमारा मानना है कि लोगों को प्राइवेट के बजाय सरकारी एजेंसियों के साथ आधार नंबर साझा करने में ज्यादा सहजता महसूस होती है।’

पिछले साल सरकार ने 12 अंकों वाले आधार नंबर को PAN, बैंक खातों और मोबाइल नंबरों से जोड़ना अनिवार्य बना दिया था। इसके अलावा पोस्ट ऑफिस डिपॉजिट्स, पब्लिक प्रॉविडेंट फंड, नैशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट स्कीम और किसान विकास पत्र सहित कई योजनाओं के साथ भी इसे जोड़ना जरूरी कर दिया गया था। मौजूदा कस्टमर्स को आधार नंबर की जानकारी देने के लिए 31 दिसंबर 2017 तक का वक्त दिया गया था। बाद में आधार पर विभिन्न याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट को निर्णय करने का मौका देने के लिए सभी डेडलाइंस को बढ़ाकर 31 मार्च 2018 कर दिया गया था।

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अधिकारी ने कहा, ‘सरकार जल्द दूरसंचार विभाग के साथ बैठक करेगी और उसकी इस बारे में राय लेगी कि टेलिकॉम कंपनियों को आधार नंबर की जरूरत है या नहीं। इसी तरह इंश्योरेंस, म्यूचुअल फंड्स और आरबीआई को भी निर्णय करना होाग।’

प्राइवेसी के हक में आवाज उठाने वालों की मांग रही है कि आधार नंबर का लिंकेज अनिवार्य नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने सुरक्षा इंतजाम पर्याप्त नहीं होने का मसला भी उठाया था। सुप्रीम कोर्ट इस मुद्दे पर 17 जनवरी को नई दलीलें सुनेगा। पिछले सप्ताह यूआईडीएआई ने ‘वर्चुअल आईडी’ बनाने की घोषणा की थी, जिसका इस्तेमाल किसी भी सेवा के लिए ऑथेंटिकेशन में 12 अंकों वाले आधार नंबर की जगह किया जा सकेगा। उसने ऑथेंटिकेशन एजेंसियों की ओर से इंफॉर्मेशन एक्सेस को भी सीमित कर दिया था। इन कदमों से प्राइवेसी की सुरक्षा मजबूत होने की उम्मीद है। ये उपाय जून में लागू होंगे।

अधिकारी ने कहा कि अगर लोग डेडलाइन बढ़ाने की मांग करेंगे तो सरकार उस पर विचार करेगी। उन्होंने कहा कि बैंक खातों और पैन के अलावा कुकिंग गैस और पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम सहित कई सरकारी सब्सिडी स्कीमों में आधार नंबर की जरूरत होती है ताकि फर्जी अकाउंटहोल्डर्स को अलग किया जा सके। नागरिकों के पास जल्द यह विकल्प होगा कि वे चाहें तो 12 अंकों वाले अपने आधार नंबर की जानकारी कभी न दें, भले ही मांग सरकारी एजेंसियों की ओर से की जा रही हो।

सरकारी अधिकारी ने ईटी को बताया, ‘जिन डेटाबेसेज में पहले आधार की जानकारी रखी गई थी, उनमें से भी सर्विस प्रोवाइडर्स को अपने रिकॉर्ड्स हटाने को कहा जाएगा और यूआईडी नंबर की जगह 72 कैरेक्टर वाले टोकन लाने को कहा जाएगा।’

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