फ्री में इंटरनेट देगा ट्राई, फिर शुरू नेट न्यूट्रलिटी की बहस

टेलीकॉम रेगुलेटर ने एक कंसल्टेशन पेपर पेश किया है, जिसमें डेटा सर्विसेज पर भेदभाव वाली प्राइसिंग पॉलिसी का उल्लंघन किए बना मोबाइल पर फ्री इंटरनेट देने के उपायों का जिक्र किया गया है। रेगुलेटर ने कहा है कि वह उन लोगों को इंटरनेट से जोड़ना चाहता है, जो अभी इससे दूर हैं। हालांकि, इससे नेट न्यूट्रलिटी पर एक और जंग की आशंका बढ़ गई है।

यह पेपर गुरुवार को जारी किया गया। इसमें टेलीकम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) ने तीन मॉडल्स सुझाए हैं। पहला, यूजर्स के लिए एक टोल फ्री प्लेटफॉर्म हो, जहां वे मुफ्त में इंटरनेट ब्राउज कर सकें। दूसरा, कंज्यूमर्स शुरू में भुगतान करें, जिसे बाद में उन्हें वापस कर दिया जाए। तीसरा, ऐसे ऐप्स लाए जाएं, जिनसे डेटा रिचार्ज या वॉयस यूसेज के तौर पर यूजर्स को इंसेंटिव मिले। नेट न्यूट्रलिटी के समर्थकों ने पहले दो उपायों की आलोचना की है। उनका कहना है कि यह फ्री और न्यूट्रल इंटरनेट की भावना के खिलाफ है। उनका कहना है कि टोल फ्री मॉडल फेसबुक के फ्री बेसिक्स और एयरटेल जीरो जैसे जीरो-रेटिंग प्रॉडक्ट्स की तरह है। ट्राई इन पर पहले ही बैन लगा चुका है।

आलोचकों का कहना है कि दोनों मॉडल्स उन लोगों से भेदभाव करते हैं, जो कंटेंट सब्सिडाइज करने के लिए भुगतान नहीं कर सकते। उनके मुताबिक, इससे इनोवेशन के लिए खराब माहौल बनेगा और यह नेट न्यूट्रलिटी के कॉन्सेप्ट का उल्लंघन होगा। ट्राई ने फरवरी में नेट न्यूट्रलिटी के हक में ऐतिहासिक फैसला दिया था। इसमें सबको इंटरनेट का बराबर का एक्सेस देने की बात थी। इसी फैसले के चलते फेसबुक को फ्री बेसिक्स प्रोग्राम वापस लेना पड़ा था।

वॉलेंटियर बेस्ड savetheinternet.in के मेंबर निखिल पाहवा ने कहा, ‘कंसल्टेशन पेपर में कुछ मामले उठाए गए हैं। हमारा मानना है कि इनके बारे में पहले ही फैसला हो चुका है। प्लेटफॉर्म, जीरो रेटिंग वेबसाइट्स एक ही चीज है। फ्री बेसिक्स में ऐसा ही किया जा रहा था। ट्राई इस पर पहले पाबंदी लगा चुका है।’ दिसंबर में ट्राई के डिफरेंशियल प्राइसिंग पर कंसल्टेशन पेपर लाने के बाद इस ग्रुप ने देश में नेट न्यूट्रलिटी के लिए कैंपेन चलाया था।

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