पैरिस डील पर मोदी का दिल जीतने के लिए ओबामा ने खेला था अफ्रीकी-अमेरिकी कार्ड: किताब

वॉशिंगटन
साल 2015 के आखिरी महीनों में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने अफ्रीकी-अमेरिकी कार्ड खेलकर पैरिस समझौते के लिए राजी किया था। इस समझौते में भारत काफी आखिर में राजी हुआ था क्योंकि भारतीय अधिकारियों को मनाना अमेरिका के लिए सबसे मुश्किल था। यह दावा बराक ओबामा के राष्ट्रपति कार्यकाल पर लिखी एक किताब में किया गया है। यह किताब 8 साल तक ओबामा के टॉप फॉरन पॉलिसी और नैशनल सिक्यॉरिटी सहायक रहे बेन रोड्स ने लिखी है।

‘द वर्ल्ड ऐट इट इज: अ मेमॉयर ऑफ द ओबामा वाइट हाउस’ नाम की इस किताब में रोड्स ने लिखा है, ‘जब हम पैरिस गए, तो भारत को मनाना सबसे कठिन था।’ रोड्स ओबामा के डेप्युटी नैशनल सिक्यॉरिटी अडवाइज फॉर स्ट्रैटजिक कम्युनिकेशंस थे। रोड्स ने लिखा, ‘पैरिस में एक मौके पर ओबामा खुद दो भारतीय अधिकारियों से बातचीत करने पहुंच गए ताकि उन्हें इस बात के लिए राजी किया जा सके कि भारत का समझौते में शामिल होना जरूरी है। लेकिन वह दोनों भारतीय अधिकारियों को मनाने में नाकामयाब रहे।’

किताब में आगे लिखा है, ‘इसके बाद ओबामा ने पैरिस में करीब एक घंटा पीएम मोदी के साथ बिताया। जब तक ओबामा ने अफ्रीकी-अमेरिकी कार्ड नहीं खेला, तब तक कोई रणनीति काम नहीं कर रही थी।’ किताब के मुताबिक, ‘लगभग एक घंटे तक, मोदी यह बताते रहे कि उनके देश में 30 करोड़ लोग बिना बिजली के रह रहे हैं और भारतीय अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के लिए कोयला सबसे सस्ता रास्ता है। उन्होंने पर्यावरण की परवाह की लेकिन उन्हें गरीबी में फंसे लोगों की भी चिंता करनी पड़ी। ओबामा ने मोदी से अमेरिका के सौर ऊर्जा निर्माण के बारे में चर्चा की लेकिन वह इस डील की वजह से हो रहे पक्षपातपूर्ण रवैये पर कुछ नहीं कह पाए। यह तथ्य है कि अमेरिका जैसे देश कोयले के जरिए ही विकसित हुए हैं और अब भारत से मांग कर रहे हैं कि वह इसके इस्तेमाल को कम करे।’

ओबामा ने आखिरकार कहा, ‘देखिए, मुझे पता है कि यह अनुचित है, मैं अफ्रीकी-अमेरिकी हूं।’ रोड्स ने आगे लिखा है, ‘यह सुनकर मोदी हंसे और नीचे अपने हाथों को देखने लगे। वह वास्तव में पीड़ा में दिख रहे थे।’ किताब में आगे लिखा गया है, ‘ओबामा ने कहा कि मैं जानता हूं कि एक अन्यायपूर्ण सिस्टम में रहना कैसा होता है। मैं जानता हूं कि पीछे से शुरू करना कैसा लगता है, ऐसे बर्ताव करना जैसे कोई अन्याय न हुआ हो। लेकिन मैं इन वजहों से प्रभावित होकर सोच को आकार नहीं दे सकता न तो आपको ऐसा करना चाहिए।’ रोड्स ने लिखा है कि उन्होंने कभी भी ओबामा को किसी नेता से ऐसे बात करते नहीं देखा था। मोदी ने इसकी सराहना की। उन्होंने ऊपर देखा और रजामंदी दे दी।

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