पीएनबी घोटाला: जांच के घेरे में दूसरे बैंकों के भी अधिकारी

नई दिल्ली
पंजाब नैशनल बैंक (पीएनबी) के 11,300 करोड़ रुपये के घोटाले की जांच तेज हो गई है। सूत्रों का कहना है कि अन्य बैंकों के अधिकारी भी जांच के घेरे में हैं। जिन बैंकों की विदेशी शाखाओं से पीएनबी के धोखाधड़ी वाले साख पत्रों (एलओयू) के जरिये कर्ज दिया गया उनके अधिकारी भी जांच के घेरे में आ गए हैं। सूत्रों ने कहा कि भारतीय बैंकों इलाहाबाद बैंक, भारतीय स्टेट बैंक, यूनियन बैंक, यूको बैंक और एक्सिस बैंक की हॉन्ग-कॉन्ग शाखाओं के अधिकारी इस पूरे घोटाले में शामिल हैं।

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यह घोटाला पिछले 7 साल से चल रहा था। सूत्रों ने बताया कि दिशानिर्देशों के अनुसार रत्न और आभूषण क्षेत्र के एलओयू को भुनाने की समयसीमा 90 दिन है, 365 दिन नहीं, जैसा कि पीएनबी घोटाले से जुड़े ज्यादातर एलओयू में दिखाया गया है। सूत्रों ने कहा कि आम परंपरा से अलग हटकर जारी एलओयू के मद्देनजर हॉन्ग-कॉन्ग में अन्य बैंकों की शाखाओं के अधिकारियों को सचेत होना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

यह मामला तभी सामने आया जबकि पीएनबी ने पिछले महीने उसकी मुंबई की ब्रैडी हाउस शाखा की ओर से जारी एलओयू को मानने से इनकार कर दिया। सूत्रों ने बताया कि यदि किसी ने सतर्कता दिखाई होती तो घोटाले की राशि इतनी अधिक नहीं पहुंचती। हॉन्ग-कॉन्ग में 11 भारतीय बैंकों का परिचालन हैं। वहां इलाहाबाद बैंक, यूको बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एक्सिस बैंक, एसबीआई, बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, केनरा बैंक, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और इंडियन ओवरसीज बैंक की शाखाएं हैं।

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इनमें से एसबीआई ने पहले ही घोषणा कर दी है कि उसने पीएनबी घोटाले में शामिल नीरव मोदी से जुड़ी कंपनियों को 21.2 करोड़ डॉलर का ऋण दिया है। इसी तरह यूनियन बैंक आफ इंडिया ने 30 करोड़ डॉलर और यूको बैंक ने 41.18 करोड़ डॉलर का कर्ज दिया है। समझा जाता है कि इलाहाबाद बैंक का इस मामले में करीब 2,000 करोड़ रुपये फंसा है। पिछले सप्ताह पीएनबी ने कहा है कि वह उसकी शाखा की ओर से जारी सभी एलओयू का भुगतान करेगा। हालांकि, इस मामले में उसकी पूरी देनदारी कितनी बनती है यह जांच के बाद ही पता चलेगा।

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