पश्चिम बंगाल की इलेक्ट्रिक रेल कोच फैक्ट्री में बनेंगी हवाई जहाज जैसी इंटिरियर वाली बोगियां

रजत अरोड़ा, नई दिल्ली
एल्सटॉम, सीमेंस और स्टैडलर बसनैंग एजी जैसी ग्लोबल टेक्नॉलजी कंपनियों की अगुवाई वाले तीन बड़े कंसोर्शियम पश्चिम बंगाल में इलेक्ट्रिक रेल कोच फैक्ट्री लगाने की होड़ में शामिल हैं। इस रेल कोच फैक्ट्री में एयरक्राफ्ट जैसे इंटीरियर वाले कोच बनाए जाएंगे। यह फैक्ट्री पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) के तहत रेलवे की जमीन पर लगाई जा सकती है। इसमें 2,000 करोड़ रुपये निवेश किया जाएगा।

यह ‘मेक इन इंडिया’ के तहत रेलवे सेक्टर में दूसरा सबसे बड़ा फॉरन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट (एफडीआई ) होगा। रेलवे सेक्टर में पहला बड़ा एफडीआई 2015 में दो रेल लोकोमोटिव फैक्ट्रियां लगाने के लिए हुआ था, जिनकी कुल लागत 3,300 करोड़ रुपये की है। रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि तीन कंसोर्शियम- सीमेंस-बॉम्बार्डियर ट्रांसपोर्टेशन, सीआरआरसी कॉर्पोरेशन ऑफ चाइना-एल्सटॉम ट्रांसपोर्ट और स्टैडलर बसनैंग एजी (स्विट्जरलैंड)-मेधा सर्वो ड्राइव्स को रेलवे ने शॉर्टलिस्ट किया है।

सरकार की जॉइंट वेंचर में 26 पर्सेंट हिस्सेदारी होगी। फाइनल बिड इस वर्ष दिसंबर में दी जाएंगी। चुने गए बिडर को 12 वर्ष की अवधि में लगभग 5,000 इलेक्ट्रिक रेल कार वाले ट्रेन सेट की मैन्युफैक्चरिंग और सप्लाई और 13 वर्षों के लिए मेंटेनेंस करनी होगी। ये ट्रेनें पूरी तरह स्टेनलेस स्टील की बनी होंगी और इनमें ऑटोमैटिक डोर, सीसीटीवी कैमरा और एलईडी लाइटिंग जैसे फीचर्स होंगे।

अधिकारी ने कहा, ‘इन ट्रेनों में न्यू जेनरेशन प्रोपल्शन सिस्टम होगा जिससे लगभग 40 पर्सेंट पावर दोबारा जेनरेट होगी और एनर्जी के बिल में बड़ी बचत की जा सकेगी। इनके कोच पूरी तरह एयर-कंडीशंड होंगे और इनमें अधिक यात्रियों को ले जाने की क्षमता होगी।’ रेलवे ने बताया कि यह फैक्ट्री 12 वर्षों में 50,000 करोड़ रुपये का रोलिंग स्टॉक तैयार करेगी। इससे रेलवे को इन कोच को इम्पोर्ट करने की तुलना में लगभग 10,000 करोड़ रुपये की बचत होगी। यह प्रॉजेक्ट रेलवे की मॉडर्नाइजेशन योजना का एक हिस्सा है।

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