नोटबंदी और जीएसटी की वजह से अर्थव्यवस्था में आई सुस्ती खत्म हो चुकी हैः जेटली

नई दिल्ली
इसके स्पष्ट सबूत मिल रहे हैं कि नोटबंदी और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की वजह से अर्थव्यवस्था में आई सुस्ती अब लगभग खत्म हो चुकी है। यह कहना है केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली का। अमेरिका में बिजनसमेन के एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए जेटली ने कहा कि सरकार के अब तक के सुधारवादी कदमों की वजह से अर्थव्यवस्था मजबूत, टिकाऊ और संतुलित विकास हासिल करने के कगार पर है। जेटली हफ्तेभर के लिए अमेरिकी दौरे पर हैं।

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वित्त मंत्रालय का यह बयान फैक्ट्री आउट ग्रोथ का अगस्त का आकंड़ा आने के बाद आया है। अगस्त में फैक्ट्री आउट ग्रोथ जुलाई के 0.9 प्रतिशत के मुकाबले 4.3 प्रतिशत रहा जिससे पता चलता है कि जीएसटी लागू किए जाने से जुड़े मसलों का असर कम हो रहा है। इधर, सितंबर महीने में खुदरा महंगाई में कोई बदलाव नहीं देखा गया। इससे नीति-निर्माताओं के चेहरे खिल गए हैं क्योंकि अप्रैल-जून तिमाही में देश की विकास दर घटकर 5.7 प्रतिशत पर आ जाने के बाद उनकी चौतरफा आलोचना हुई थी। कुछ अर्थशास्त्रियों और विभिन्न एजेंसियों ने नोटबंदी और जीएसटी लागू करने से जुड़े मसलों का हवाला देते हुए भारत की विकास दर का अनुमान घटा दिया।

जेटली के हवाले से एक आधिकारिक बयान में कहा गया है, ‘नोटबंदी के बाद 1 जुलाई से जीएसटी लागू करने के बाद धीरे-धीरे इसमें पूरा बदलने के साथ-साथ भारत सरकार के अन्य संरचनात्मक सुधारों से अर्थव्यवस्था ऊंचे विकास की ओर अग्रसर होगी।’ वित्त मंत्रालय ने कहा कि 2016-17 में भारत में एफडीआई का प्रवाह बढ़ा है। इससे भारतीय अर्थव्यवस्था में बढ़ते वैश्विक भरोसे की ओर इशारा मिलता है। उन्होंने वैश्विक और भारतीय अर्थव्यवस्था के बीच संबंधों, राष्ट्रीय निवेशों और इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड, सुधारवादी कदमों एवं ईज ऑफ डुइंग बिजनस को बेहतर करने के प्रयासों की भी चर्चा की।

वर्ल्ड बैंक और आईएमएफ की बैठकों से इतर वित्त मंत्री ने अमेरिकी ट्रेजरी सेक्रटरी और वहां के कॉमर्स सेक्रटरी के साथ वॉशिंगटन में मुलाकात की और H1B/L1 वीजा का मुद्दा उठाया। वित्त मंत्री ने कुशल भारतीय पेशेवरों की अमेरिकी अर्थव्यवस्था में योगदान का भी जिक्र किया। उन्होंने H1B/L1 वीजा प्रक्रिया और सामाजिक सुरक्षा योगदान में सुधार की भी जोरदार वकालत की ताकि अमेरिकी हितों की रक्षा करनेवाले अति ताकतवर भारतीय प्रफेशनल्स को अपनी मेहनत की कमाई से महरूम नहीं होना पड़े।

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