नीता अंबानी एशिया की सबसे शक्तिशाली महिला कारोबारी: फोर्ब्स

न्यू यॉर्क

रिलायंस फाउंडेशन की प्रमुख नीता अंबनी को फोर्ब्स ने एशिया की सबसे शक्तिशाली महिला कारोबारी करार दिया है जो इस क्षेत्र की 50 प्रमुख उद्यमियों की सूची में शीर्ष पर हैं। इस सूची में आठ भारतीय महिलाओं ने भी स्थान बनाया है।

एसबीआई की अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक अरुंधती भट्टाचार्य को 2016 की ‘एशिया की 50 शक्तिशाली महिला कारोबारी’ की सूची में दूसरा स्थान दिया गया है जिसमें चीन, इंडोनेशिया, ऑस्ट्रेलिया, वियतनाम, थाइलैंड, हांगकांग, जापान, सिंगापुर, फिलिपींस और न्यू जीलैंड की प्रभावशाली महिलाएं शामिल हैं।

अंबानी और भट्टाचार्य के अलावा भारत की छह अन्य महिलाएं भी इसमें जगह बना पाने में कामयाब हुईं हैं जिनमें एमयू सिग्मा की मुख्य कार्यकारी अंबिगा धीरज (14 वां स्थान), वेलस्पन इंडिया की मुख्य कार्यकारी दिपाली गोयनका (16 वां स्थान), ल्यूपिन की मुख्य कार्यकारी विनीता गुप्ता (18 वां स्थान), आईसीआईसीआई बैंक की प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी चंदा कोचर (22वां स्थान), वीएलसीसी हेल्थकेयर की संस्थापक और उपाध्यक्ष वंदना लूथरा (25वां स्थान) और बायोकॉन की संस्थापक, चेयरमैन और प्रबंध निदेशक किरण मजूमदार शॉ (28वां स्थान) शामिल हैं।

फोर्ब्स ने कहा, ‘इस सूची में स्वीकार किया गया है कि कारोबारी दुनिया में महिलाएं अपनी जगह बना रही हैं लेकिन स्त्री-पुरष असमानता अब भी बरकरार है। महिलाएं यह समझने की बेहतर स्थिति में हैं कि उन्हें नेतृत्व की स्थिति में आने और वहां बने रहने के लिए क्या करना होगा।’

फोर्ब्स ने 52 वर्षीय नीता को ‘भारतीय उद्योग जगत की प्रथम महिला’ करार देते हुए कहा कि वह ‘राजगद्दी की सबसे करीबी ताकत’ हैं और उन्होंने रिलायंस इंडस्ट्रीज़ में अपनी बढ़ती हैसियत के कारण इस सूची में पहली बार जगह पक्की की है। रिलायंस इंडस्ट्रीज़ के प्रमुख उनके पति और भारत के सबसे अमीर व्यक्ति मुकेश अंबानी हैं।

वहीं एसबीआई प्रमुख अरुंधती भट्टाचार्य के बारे में फोर्ब्स ने कहा कि वह सबसे चुनौतीपूर्ण परीक्षा से गुजर रहीं हैं क्योंकि भारतीय स्टेट बैंक (SBI) बढ़ते एनपीए (वसूल न किए जा सकने वाले ऋण) से जूझ रहा है जो दिसंबर में 11 अरब डॉलर पर पहुंच गया था। हालिया तिमाही में बैंक का शुद्ध मुनाफा 60 प्रतिशत से अधिक गिरकर 19 करोड़ डॉलर रह गया।

अंबिगा जब एमयू सिग्मा की मुख्य कार्यकारी बनीं तो वह पहली महिला थीं जो किसी भारतीय स्वामित्व वाली कंपनी की प्रमुख थीं। इस कंपनी की स्थापना उनके पति धीरज राजाराम ने 2004 में की थी। दीपाली गोयनका ने पांच साल पहले कपड़ा निर्माता वेलस्पन इंडिया का प्रभार संभाला जो उनके परिवार के तीन अरब डॉलर के वेलस्पन समूह का अंग है। दीपाली ने कहा कि उन्होंने जब पद ग्रहण किया तो पुरुष प्रधान इस उद्योग में धारणा थी कि वेलस्पन पागल हो गई है।

फोर्ब्स ने कहा, ‘दिपाली ने इसे दो तरीके से गलत साबित किया। मुनाफा और आय कई गुना बढ़ाई। मार्च 2015 में समाप्त वर्ष के दौरान कंपनी का मुनाफा 8.1 करोड़ डॉलर रहा जबकि आय 79 करोड़ डॉलर रही।’

चंदा कोचर ने फोर्ब्स की सूची में लगातार जगह बनाई है और उन्होंने आईवर्कऐटहोम कार्यक्रम शुरु किया है जिसके तहत कर्मचरियों को साल भर घर से काम करने की सहूलियत दी जाती है, ताकि महिला कर्मचारियों को कंपनी में बनाए रखा जा सके।

फोर्ब्स के मुताबिक 56 वर्षीय वंदना लूथरा ने भारत में सौंदर्य और वेलनेस की श्रृंखला की अवधारणा शुरु की। इधर 63 वर्षीय किरण मजूमदार शॉ अपने दम पर बनी उद्यमी हैं और उन्होंने इंस्यूलिन के क्षेत्र में बायोकॉन को बड़ी कंपनी बना दिया है।

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