धोनी, कपिल से लेकर कई नामी हस्तियां बन चुकी हैं इस आर्मी में अफसर

नई दिल्ली. युद्ध के साथ-साथ आपदा की स्थिति में टेरिटोरियल आर्मी (प्रादेशिक सेना) ने अपनी अहमियत सबित की है। मगर इनका योगदान सुरक्षा और सहायता तक ही सीमित नहीं। ‘भारत माता’ की रक्षा के साथ अब ‘मां गंगा’ की स्वच्छता का दायित्व भी इन्हें दिया जाने वाला है।    सुरक्षा: आतंक विरोधी अभियानों में भी शामिल  प्रादेशिक सेना के सदस्य प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से रक्षा से जुड़ी कई अहम जिम्मेदारियां निभाते हैं। जम्मू-कश्मीर में तो इस टुकड़ी के जवान व अधिकारी आतंकवाद विरोधी अभियान तक में सेना की मदद कर रहे हैं। वहीं देश के अलग-अलग हिस्सों में सेना के काफिलों के लिए ये मार्गदर्शक की भूमिका निभा रहे हैं। इनकी सक्रियता से सेना को अपने स्थिर कर्तव्यों से राहत भी मिली है। इतना ही नहीं, युद्ध में इन्होंने न सिर्फ सक्रियता से हिस्सा लिया है, बल्कि सेन्य संस्थानों और छावनियों की सुरक्षा भी सुनिश्चित की। इसका उदाहरण 1962, 1965, 1971 और कारगिल युद्ध में देखने को मिला है। इसके अलावा प्रादेशिक सेना श्रीलंका में हुए ‘ऑपरेशन पवन’ पंजाब के ‘ऑपरेशन रक्षक’,…

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