देश के सबसे पुराने ग्रीन फॉसिल्स पर जम रही है उपेक्षा की काई

सोनभद्र
सोनभद्र जिले के चोपन ब्लॉक में कनहर और नजदीक की पहाड़ियों में चल रहे खनन से 60 करोड़ वर्ष पुराने फॉसिल्स का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है। दुर्भाग्य की बात यह है कि रखरखाव के अभाव में ग्रीन फॉसिल्स पर अब उपेक्षा की काई जम गई है। बीएचयू के भू वैज्ञानिक प्रफेसर वैभव श्रीवास्तव ने इसके सदियों पुराना होने का दावा करते हुये इसे जियोलाजिक यूनिक पार्क में शामिल करने के लिये केंद्र को पत्र लिखा है।

बीएचयू के भू-वैज्ञानिक ने अपने शोध में दावा किया कि यह देश का सबसे पुराना ग्रीन फॉसिल्स है जो कि कनहर नदी के किनारे 300 मीटर के परिक्षेत्र में फैला हुआ है। उन्होंने कहा कि इसका तत्काल संरक्षण किया जाना जरूरी है और अगर ऐसा नहीं किया गया तो कनहर में अवैध खनन के कारण इसका अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा।

गहरे समुद्र का हिस्सा था क्षेत्र
बीएचयू वैज्ञानिक ने अपने शोध में कहा है कि करोड़ो वर्ष पहले यह क्षेत्र गहरे समुद्र का इच्छा था। समुद्र में उथल पुथल के बाद हुए प्राकृतिक परिवर्तन के साथ ये क्षेत्र आज वन और आबादी वाला क्षेत्र हो गया और इसी अवधि के अवशेष जीवाश्म के रूप में यहां मौजूद हैं। बीएचयू वैज्ञानिक ने केंद्र सरकार से अनुरोध किया है कि इस क्षेत्र के अध्ययन के लिए जरूरी इंतजाम कराए जाएं, साथ ही इसके संरक्षण के लिए भी काम किया जाना चाहिए।

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