देश की सबसे बड़ी और पुरानी अफीम की फैक्ट्री पड़ी है बंद

बिनय सिंह, वाराणसी
गाजीपुर भारत की सबसे बड़ी और पुरानी अफीम की फैक्ट्री प्रदूषण मानकों को पूरा नहीं करने के लिए पिछले एक महीने से बंद पड़ी है। इस फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूरों का कहना है कि ऐसा पहली बार हुआ है कि इस फैक्ट्री में इतने लंबे समय से काम बंद है।

उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी ने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया, ‘प्रदूषण मानकों पर खरा नहीं उतरने के कारण फैक्ट्री के प्रशासन ने इसे 1 मार्च को यहां कामकाज बंद कर दिया।’ यह फैक्ट्री लगभग 197 साल पुरानी है और इसके बारे में लेखक अमिताव घोष ने अपने उपन्यास ‘सी ऑफ पॉपीज़’ में लिखा है, ‘यह फैक्ट्री बेहद विस्तृत थी। यह लगभग 45 एकड़ में फैली हुई है और यह दो कंपाउंड और कई कोर्टयार्ड के रूप में फैली हुई है। इसमें कई पानी की टंकियां और लोहे के शेड वाली कई बिल्डिंग हैं।’

इस फैक्ट्री के अधिकारियों ने बुधवार को कहा कि यह फैक्ट्री दोबारा तभी शुरू हो सकेगी जबकि यह प्रदूषण मानकों को पूरा करने के लिए पूरी तरह से तैयार हो जाएगी। इस फैक्ट्री के जनरल मैनेजर रमेश कुमार ने कहा, ‘यहां एक ऑनलाइन मॉनीटरिंग सिस्टम लगाए जाने का काम किया जा रहा है। हमें उम्मीद है कि अगले दो महीने में जरूरत के हिसाब से सारे बदलाव कर फैक्ट्री को दोबारा शुरू कर देंगे।’

हालांकि उन्होंने दावा किया कि फैक्ट्री में अफीम की टेस्टिंग का काम अभी भी चल रहा है। उन्होंने कहा, ‘हमें हाल में राजस्थान से अफीम के 12,000 कंटेनर मिले हैं जिनकी टेस्टिंग की जा रही है और इसमें दो-तीन महीने का वक्त लगेगा।’ भारत में अफीम की प्रोसेसिंग इस फैक्ट्री को लगाए जाने के बाद ही शुरू हुई थी। गंगा के किनारे इस फैक्ट्री की स्थापना 1820 में की गई थी। बाद में ऐसी ही एक फैक्ट्री मध्य प्रदेश के नीमच में भी स्थापित की गई। इस फैक्ट्री में दवाइयां बनाने के लिए अफीम की प्रोसेसिंग की जा ती है।

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