तीनों एमसीडी को फिर एक करने का इरादा नहीं: सरकार

रामेश्वर दयाल, नई दिल्ली

दिल्ली सरकार ने स्पष्ट किया है कि तीनों एमसीडी को वित्तीय संकट से उबारने के लिए उसका तीनों एमसीडी को दोबारा से एक करने की कवायद करने का कोई इरादा नहीं है। सरकार का कहना है कि तीनों एमसीडी को अपने वर्तमान स्रोतों से आय बढ़ानी चाहिए। उन्हें अपने वित्तीय प्रबंधन भी सुधार करना चाहिए। सरकार ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि निगमों की वित्तीय स्थिति सुधारने के लिए वह अलग से कोई मदद करने को राजी नहीं है।

दिल्ली विधानसभा के चल रहे बजट सेशन में आजकल एमसीडी की कार्यप्रणाली पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। एमसीडी द्वारा की जा रही सीलिंग पर उसके नेता और अधिकारी तो सरकार के निशाने पर ही है, साथ ही सरकार का कहना है कि अगर एमसीडी अवैध निर्माण आदि को लेकर पहले से ही गंभीर होती तो आज कारोबारियों और आम लोगों को सीलिंग की मार नहीं झेलनी पड़ती। सदन में सत्ता पक्ष के सदस्य एमसीडी के भ्रष्टाचार को भी टारगेट पर ले रहे हैं और बता रहे हैं कि भ्रष्टाचार और कामचोरी के चलते दिल्ली के लोगों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसी कड़ी में सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि तीनों एमसीडी को वित्तीय संकट से उबारने के लिए उन्हें फिर से एक करने की जरूरत नहीं है। इस मसले को हाल में सदन में विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता ने उठाया था, जिसका जवाब देते हुए शहरी विकास मंत्री सत्येंद्र जैन ने स्पष्ट कर दिया था कि तीनों एमसीडी को दोबारा से एक करने से कुछ होने वाला नहीं है।

शहरी विकास मंत्री का स्पष्ट कहना था कि तीनों एमसीडी को वित्तीय संकट से उबारने के लिए उन्हें दोबारा से एक करने की जरूरत नहीं है। इससे अच्छा यह है कि तीनों निगमों को अपने वर्तमान स्रोतों से आय में बढ़ोतरी करनी चाहिए, साथ ही आय के अन्य नए स्रोत की पहचान कर उन्हें लागू करना चाहिए। सत्येंद्र जैन ने यह भी स्पष्ट कहा कि एमसीडी अगर अपने वित्तीय प्रबंधन में सुधार करे तो संकट काफी हद तक टल सकता है। उन्होंने कहा कि नियमों के अनुसार दिल्ली सरकार तीनों निगमों को उनके हिस्से का बजट मुहैया करा रही है। इस बार के बजट में भी सरकार की ओर से निगमों को एक हजार करोड़ रुपये देने का प्रावधान रखा गया है। लेकिन उन्होंने सदन में स्पष्ट कर दिया कि सरकार अलग से निगमों को फंड मुहैया नहीं कराएगी।

सदन में इस चर्चा के दौरान सत्ता पक्ष के सदस्यों ने एक बार फिर से निगमों की कार्यप्रणाली को टारगेट पर लिया। उनका कहना था कि निगमों में भ्रष्टाचार गंभीर रूप धारण कर चुका है और वहां कोई काम नहीं हो रहा है। उनका कहना था कि इलाकों में जेई ने आतंक मचा रखा है और वे मनचाही सीलिंग की कार्यवाही कर रहे हैं। सत्ता पक्ष के सदस्यों का यह भी कहना था कि तीनों निगमों में कोई कामकाज नहीं हो रहा है और अधिकारी अपने जेबें भरने में लगे हुए हैं। उन्होंने निगमों की कार्यप्रणाली को लेकर कमिश्नरों को सदन में पेश होने की मांग भी की।

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