डीयू जैसी हिंसा की आशंका से अम्बेडकर यूनिवर्सिटी ने कश्मीर पर कार्यक्रम टाला

नई दिल्ली
दिल्ली विश्वविद्यालय जैसी हिंसा की आशंका के चलते राष्ट्रीय राजधानी में अम्बेडकर यूनिवर्सिटी ने कश्मीर को लेकर अपने परिसर में आयोजित होने वाले एक कार्यक्रम को टाल दिया है। यह कार्यक्रम कश्मीर में कथित कुनन पोशपोरा दुष्कर्म घटना के 26 साल पूरा होने पर आधारित था।

कश्मीर के कुनन एवं पोशपोरा के ग्रामीणों के साथ सेना द्वारा कथित दुष्कर्म कांड के 26 साल पूरे होने पर अम्बेडकर विश्वविद्यालय और वुमन अगेंस्ट सेक्शुअल वायलेंस एंड स्टेट रिप्रेशन नामक एनजीओ 23 फरवरी को कश्मीरी महिलाओं के प्रतिरोध दिवस के रुप में एक कार्यक्रम का आयोजन करने वाले थे। कार्यक्रम से 24 घंटे से भी कम समय पहले इसके वक्ताओं को ‘अभिव्यक्ति की आजादी’ के लिये कथित खतरे का हवाला देते हुए ईमेल के जरिये सेमिनार टालने की सूचना दी गयी।

विश्वविद्यालय ने सेमिनार के वक्ताओं को भेजे एक ईमेल में कहा कि एयूडी प्रशासन संकाय से कार्यक्रम के प्रारुप में कुछ बदलाव चाहता है और इसलिए कार्यक्रम की तिथि में फेरबदल करते हुए मार्च में किसी समय इसका आयोजन होगा। जैसा कि आप देख रहे हैं कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एवं मुक्त चर्चा स्थल के तौर पर विश्वविद्यालय के लिये अभी उपयुक्त समय नहीं है। शोधार्थी गौहर फाजिली ने इस तरह के ईमेल मिलने की पुष्टि की है। कार्यक्रम के दौरान गौहर ‘फैमिलियल ग्रीफ, रेसिस्टैंस एंड द पॉलिटिकल इमैजिनरी इन कश्मीर’ पर प्रस्तुति देने वाले थे।

गौरतलब है कि दिल्ली विश्वविद्यालय के रामजस कॉलेज में बुधवार को ABVP और AISA कार्यकर्ताओं के बीच व्यापक हिंसा भड़क उठी थी। हिंसा की वजह जेएनयू छात्र उमर खालिद और शहला राशिद को ‘कल्चर ऑफ प्रोटेस्ट’ विषय पर आयोजित सेमिनार को संबोधित करने के लिये बुलाया जाना था। बहरहाल, एबीवीपी के विरोध के बाद कॉलेज अधिकारियों ने इसे रद्द कर दिया था।

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