जुड़वां बच्चों के विवाद में अस्पताल में ‘बेबी’
|नोएडा : वह बीमार नहीं है, लेकिन इसके बावजूद जन्म के बाद से ही अस्पताल ही उसका घर बन गया है। जन्म के 28 दिन बाद भी इस बच्ची को खुली हवा नसीब नहीं हुई है। अस्पताल के कमरे में ही उसके दिन-रात गुजर रहे हैं। नवजात को सबसे अधिक जरूरत खिली धूप की होती है, जिससे बच्चे की हड्डियां मजबूत होती हैं, लेकिन इस मासूम को धूप भी नहीं मिल रही है।
बच्ची का नाम नहीं रखा गया है, लेकिन आसपास के बेड पर रहने वाले लोग इसे बेबी कहने लगे हैं। बेबी की मां संगीता ने बताया कि अस्पताल की तरफ से उसे नहलाने का भी इंतजाम नहीं किया गया है। हालांकि वह कभी कभार वह खुद ही बेबी को नहला देती
हैं। अस्पताल में उन्हें न तो साबुन
मिल रहा है न पाउडर और न ही मालिश के तेल।
दरअसल, 20 जून को इस बच्ची का जन्म सेक्टर-30 स्थित जिला अस्पताल में हुआ था। पैरंट्स ने आरोप लगाया कि उन्हें सिर्फ एक बच्ची दी गई है जबकि संगीता की तीनों अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट में जुड़वां बच्चों की बात कही गई थी। उसके बाद सीएमओ डॉ. आर. के. गर्ग ने इस मामले की जांच करवाई। रिपोर्ट में एक प्राइवेट अस्पताल की अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट को गलत बताया गया और इस अस्पताल के अल्ट्रासाउंड सेंटर को सील करने की संस्तुति की गई। वहीं जिला अस्पताल की दो रेडियोलॉजिस्ट पर भी विभागीय कार्रवाई करने की अनुशंसा की गई।
इधर, दूसरे बच्चे की मांग को लेकर संगीता अभी भी अस्पताल में ही है। मां संगीता का ऑपरेशन हुआ है और अब संगीता को अस्पताल से दवा भी नहीं मिल रही। कभी कुछ परेशानी होती है तो सिस्टर से दवाई मांगनी पड़ रही है। बच्ची छोटी है और अस्पताल में है इसलिए उसे बाहर भी लेकर नहीं जाया जा सकता क्योंकि इनफेक्शन होने का डर है। बच्ची को जन्म के बाद से पहले टीके लगे हैं।
वहीं सीएमएस डॉ. एन. एम. माथुर ने कहा है कि जच्चा और बच्चा दोनों स्वस्थ हैं। बच्चे को धूप आदि की जरूरत होती है, यह सब सुविधाएं अस्पताल में नहीं मिल सकती। इसलिए परिवार को डिस्चार्ज कराने के लिए समझाया जा रहा है। सीएमएस ने कहा कि अब डीएम से इस मामले में हस्तक्षेप करने को कहा जाएगा।
बच्ची का नाम नहीं रखा गया है, लेकिन आसपास के बेड पर रहने वाले लोग इसे बेबी कहने लगे हैं। बेबी की मां संगीता ने बताया कि अस्पताल की तरफ से उसे नहलाने का भी इंतजाम नहीं किया गया है। हालांकि वह कभी कभार वह खुद ही बेबी को नहला देती
हैं। अस्पताल में उन्हें न तो साबुन
मिल रहा है न पाउडर और न ही मालिश के तेल।
दरअसल, 20 जून को इस बच्ची का जन्म सेक्टर-30 स्थित जिला अस्पताल में हुआ था। पैरंट्स ने आरोप लगाया कि उन्हें सिर्फ एक बच्ची दी गई है जबकि संगीता की तीनों अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट में जुड़वां बच्चों की बात कही गई थी। उसके बाद सीएमओ डॉ. आर. के. गर्ग ने इस मामले की जांच करवाई। रिपोर्ट में एक प्राइवेट अस्पताल की अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट को गलत बताया गया और इस अस्पताल के अल्ट्रासाउंड सेंटर को सील करने की संस्तुति की गई। वहीं जिला अस्पताल की दो रेडियोलॉजिस्ट पर भी विभागीय कार्रवाई करने की अनुशंसा की गई।
इधर, दूसरे बच्चे की मांग को लेकर संगीता अभी भी अस्पताल में ही है। मां संगीता का ऑपरेशन हुआ है और अब संगीता को अस्पताल से दवा भी नहीं मिल रही। कभी कुछ परेशानी होती है तो सिस्टर से दवाई मांगनी पड़ रही है। बच्ची छोटी है और अस्पताल में है इसलिए उसे बाहर भी लेकर नहीं जाया जा सकता क्योंकि इनफेक्शन होने का डर है। बच्ची को जन्म के बाद से पहले टीके लगे हैं।
वहीं सीएमएस डॉ. एन. एम. माथुर ने कहा है कि जच्चा और बच्चा दोनों स्वस्थ हैं। बच्चे को धूप आदि की जरूरत होती है, यह सब सुविधाएं अस्पताल में नहीं मिल सकती। इसलिए परिवार को डिस्चार्ज कराने के लिए समझाया जा रहा है। सीएमएस ने कहा कि अब डीएम से इस मामले में हस्तक्षेप करने को कहा जाएगा।
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