जीएसटी परिषद की बैठक में कल राज्यों को मुआवजा देने का आधार वर्ष तय करने पर चर्चा होगी। जीएसटी व्यवस्था लागू होने के बाद राज्यों को राजस्व नुकसान होने की स्थिति में केन्द्र को उसकी भरपाई करनी होगी।

जेटली ने कहा, जीएसटी लागू करने की तैयारियों के सिलसिले में जो लक्ष्य रखे गये हैं उनमें केन्द्रीय जीएसटी और एकीकृत जीएसटी :सीजीएसटी और आईजीएसटी: कानूनों को संसद में पारित करने और दूसरी तरफ राज्यों में राज्य जीएसटी कानून शीतकालीन सत्र के दौरान पारित करना शामिल है।

उन्होंने कहा, आज, 22 सितंबर से 22 नवंबर तक हमारे पास करीब दो माह का समय है। इस दौरान सभी लंबित मुद्दों को निपटाना है। इसके लिये एक समयसारिणी बनाई गई है जिस पर सभी ने सहमति जताई।

वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी छूट सीमा के बारे में दो तरह के सुझाव आये हैं। हम इन दोनों तरह के प्रस्तावों पर विचार करेंगे और अधिकारियों और मंत्रियों के स्तर पर कल इस पर विचार जारी रहेगा। इसके बाद हम किसी एक आंकड़े पर पहुंच जायेंगे।

पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा को जीएसटी परिषद का उपाध्यक्ष नियुक्त किये जाने पर भी शंका जाहिर की गई क्योंकि राज्य में अभी तक जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक को अंगीकार नहीं किया गया। कोई भी पद लेने और किसी भी सदस्य को मत देने का पात्र बनने के लिये संबंधित राज्य विधानसभा में जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक की पुष्टि होना जरूरी है।

राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने कहा कि जीएसटी परिषद की बैठक में संयोजित योजना पर आम सहमति उभरकर सामने आई है। इसमें तय हुआ है कि किसी व्यापारी की सकल कारोबार सीमा 50 लाख रपये होने पर एक या दो प्रतिशत कर देना होगा। इस संयोजित योजना के तहत कर देनदारी की गणना आसान होगी। इसमें डीलर को जीएसटी पंजीकरण का भी विकल्प होगा। यह योजना छोटे कारोबारियों से कर संग्रह की लागत कम करने के लिहाज से शुरू की गई है।

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