जिम्बाब्वे के खिलाफ ब्रेंच स्ट्रेंथ आजमाने उतरेगी भारतीय टीम

हरारे
महेंद्र सिंह धोनी ने ज्यादातर सीमित ओवरों के विशेषज्ञ खिलाड़ियों की ही अगुवाई की है लेकिन शनिवार से यहां शुरू होने वाली सीरीज के पहले वनडे में जिम्बाब्वे के खिलाफ नए लुक वाली भारतीय क्रिकेट टीम की कप्तानी करना उनके लिये एक अलग तरह की चुनौती होगी।

पिछले कुछ वर्षों से जिम्बाब्वे में सीरीज में हमेशा सीमित ओवरों के मैच होते हैं जो आईपीएल के बाद खेले जाते हैं जिसमें बीसीसीआई अपनी ‘बेंच स्ट्रेंथ’ आजमाने के लिये दूसरे दर्जे की टीम भेजता है। दूसरे दर्जे की टीम ने हालांकि 2013 और 2015 में भी जिम्बाब्वे को 5-0 और 3-0 से हराया है। इस बार भी कुछ अलग होने की संभावना नहीं है।

15 खिलाड़ियों की टीम में ऐसे पांच खिलाड़ी हैं जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय आगाज नहीं किया है लेकिन धोनी के कारण उन्हें विशेष अहमियत मिल रही है जो 11 साल लंबे अंतराल के बाद अफ्रीकी देश से खेल रहे हैं। पिछली बार धोनी 2005 में जिम्बाब्वे में खेले थे, तब उनका अंतरराष्ट्रीय करियर महज छह महीने का था और सौरभ गांगुली भारतीय टीम के कप्तान थे। लेकिन टेस्ट क्रिकेट से संन्यास के बाद अब हालात अलग हैं और विराट कोहली की पिछले छह महीने की फॉर्म से उनके कप्तानी से हटाये जाने की बातें चल रही हैं। वह भले ही अभी अपनी कप्तानी को बचाने के लिए नहीं जूझ रहे हों लेकिन जिम्बाब्वे में शुरु होने वाला इस तरह का दौरा किसी भी शीर्ष क्रिकेटर के लिये अजीब स्थिति हो सकती है।

सीरीज में जीत कुछ जश्न मनाने जैसी नहीं होगी क्योंकि हर कोई इसकी उम्मीद कर रहा होगा लेकिन अगर कोई नतीजा उम्मीद के अनुरूप नहीं रहा तो यह एक तरह से सदमे जैसा होगा जो झारखंड का यह खिलाड़ी इस समय नहीं चाहेगा। भारत का इस साल टेस्ट मैचों में घरेलू कार्यक्रम काफी व्यस्त है, जिसमें न्यू जीलैंड और इंग्लैंड के खिलाफ कुछ वनडे और टी20 भी हैं, इसलिये धोनी अगले कुछ महीनों में ज्यादा क्रिकेट नहीं खेलेंगे। भारतीय टीम इस दौरे के बाद वेस्ट इंडीज का टेस्ट दौरा करेगी। अगर टीम को देखे तो धोनी और बाकी अन्य सदस्यों के बीच अंतर काफी है।

धोनी ने 275 वनडे खेले हैं जबकि बाकी खिलाड़ियों ने मिलकर 83 मुकाबले ही खेले हैं। अगर आप अंबाती रायुडू (31 मैच) और अक्षर पटेल (22 मैच) की भागीदारी को निकाल दें तो सात अन्य खिलाड़ियों के नाम सिर्फ कुल 30 ही मैच हैं। इसके साथ ही केएल राहुल को छोड़ दें तो टीम का कोई भी युवा खिलाडी टेस्ट सीरीज के लिए वेस्ट इंडीज के लिए फ्लाइट नहीं पकड़ रहा है। मनीष पांडे जानते हैं कि यह उनके लिए सुरेश रैना के स्थान पर दावा करने का मौका होगा। ऐसा ही करुण नायर के साथ है, जो अपनी आईपीएल में अच्छी फॉर्म को अंतरराष्ट्रीय मैच में अच्छे स्कोर में तब्दील करना चाहेंगे।

अक्षर के पास आलोचकों को यह दिखाने का मौका होगा कि वह अलग तरह के स्पिनर से कहीं अधिक हैं जबकि रायुडू भी पिछले साल साउथ अफ्रीका के खिलाफ घरेलू सीरीज के बाद अपने खोये आत्मविश्वास को हासिल करना चाहेंगे।

वहीं जिम्बाब्वे की टीम में पिछले कुछ वर्षों से समस्या लगातार अच्छा नहीं खेल पाना है। फिर भी वुसिमुजी सिबांडा, एल्टन चिगुम्बुरा, हैमिल्टन मास्काद्जा, सिंकदर रजा, क्रेग इर्विन और सीन विलियम्स कुछ जाने पहचाने नाम है जो काफी समय खेल चुके हैं और युवा भारतीय टीम के लिए कुछ समस्यायें खड़ी कर सकते हैं।

टीमें इस प्रकार हैं: भारत : महेंद्र सिंह धोनी (कप्तान और विकेटकीपर), के एल राहुल, फैज फजल, मनीष पांडे, करुण नायर, अंबाती रायुडू, केदार जाधव, मंदीप सिंह, रिषि धवन, जसप्रीत बुमरा, जयंत यादव, युजवेंद्र चाहल, जयदेव उनादकट, धवल कुलकर्णी, अक्षर पटेल।

जिम्बाब्वे : ग्रीम क्रीमर (कप्तान), टेंडाई चतारा, चामू चिभाभा, एल्टन चिगुम्बुरा, टेंडाई चिसोरो, क्रेग इर्विन, नेविल मादजिवा, टिमीसेन मारुमा, हैमिल्टन मास्काद्जा, वेलिंगटन, मास्काद्जा, पीटर मूर, तवांडा मुपारिवा, रिचर्ड मुतुम्बामी :विकेटकीपर:, तौराई मुजाराबानी, वुसिमुजी सिबांडा, सिकंदर रजा, डोनल्ड ट्रिपानो, सीन विलियम्स।

मैच भारतीय समयानुसार दोपहर साढ़े बारह बजे शुरू होगा।

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