जहां चमकीला की हत्या हुई वहां दिलजीत का खून गिरा:इम्तियाज अली बोले- शूटिंग के लिए पंजाब के लोगों ने खोले घर के दरवाजे

डायरेक्टर इम्तियाज अली इन दिनों फिल्म ‘अमर सिंह चमकीला’ की सक्सेस से बहुत खुश हैं। वह कहते हैं – ‘मैं उन लोगों का शुक्रगुजार हूं, जिन्होंने फिल्म को अपना समझा। इस फिल्म को बनाने के पीछे सबसे बड़ा चैलेंज यही था कि पंजाबी सिंगर पर हिंदी फिल्म कैसे बनाएं। ज्यादातर लोगों को फिल्म अच्छी लगी। बहुत सारे लोग शुक्रिया अदा कर रहे हैं कि मैंने इस सब्जेक्ट पर फिल्म बनाई। यह शुक्रिया अदा करने का जज्बा पहली बार इतने बड़े स्केल पर देखा है। जब हम लोग दिलजीत पर वहां शॉट ले रहे थे तो तुम्बी का तार उनके हाथ में चुभ गया था। उन्होंने देखा कि हाथ से खून गिर रहा था। उसी क्षण उनको ऐसी फीलिंग हुई कि यह तो वही जगह है, जहां पर अमर सिंह चमकीला का खून गिरा हुआ था।’ अमर सिंह चमकीला की सफलता के बाद इम्तियाज अली ने दैनिक भास्कर से खास बातचीत की। ‘अमर सिंह चमकीला’ के पहले और रिलीज के बाद लाइफ में क्या परिवर्तन आया ? बहुत सारे लोग मैसेज और कॉल कर रहे हैं। ज्यादातर लोगों को फिल्म अच्छी लगी। बहुत सारे लोग शुक्रिया अदा कर रहे हैं कि मैंने यह फिल्म बनाई है। यह शुक्रिया अदा करने का जज्बा पहली बार इतने बड़े स्केल पर देखा है। मैं उन लोगों का बहुत शुक्रगुजार हूं, जिन्होंने फिल्म को अपना समझा। यह मेरे लिए बहुत ही अच्छी और खुशी की फीलिंग है। यह मेरे लिए बहुत अलग फिल्म थी। इसमें बहुत सारे रिस्क लिए,क्योंकि बहुत सारी चीजें पहली बार हो रही थी। लोगों को फिल्म पसंद आई, इससे मुझे भी बहुत बड़ा कॉन्फिडेंस मिला है। अपनी कन्विक्शन के साथ आप आगे कैसे बढ़ते हैं? हमारा काम कन्विक्शन का नहीं, बल्कि इंटरेस्ट का है। किसी भी कहानी को एक अलग तरह से पेश करने का एक नशा होता है। जैसे कि इस फिल्म में मैंने सोचा की लाइव सिंगिंग करेंगे। किसी ने नहीं किया है,लेकिन हमने किया है। इंटरेस्ट की वजह से आपके रास्ते में जितने भी प्रॉब्लम आते हैं,उन्हें आप सॉल्व कर लेते हैं। मुझे लगता है कि प्रॉब्लम की वजह से ही अच्छे आइडियाज आते हैं। चमकीला में प्रॉब्लम की वजह से एनीमेशन लेकर आए। क्योंकि छत को टूटते और सौ औरतों को गिरते हुए नहीं दिखा सकते थे। यह अपने आप में एक क्रूर इमेज होती। मैं कोशिश करता हूं कि अपनी फिल्मों में किसी को स्मोक करते ना दिखाऊं। इसलिए इसे कॉमिक बुक्स स्टाइल में दिखाया। हमें पता चला कि दिलजीत का हाथ कटने की वजह से खून निकल गया, वो भी उसी जगह पर जहां पर चमकीला को गोली मारी गई थी ? जी हां, फिल्म में एक सीन है जिसमें उनको गोली लगती है और वो सीन में गिरते हैं। वह वही जगह था जहां पर चमकीला को गोली मारी गई थी और उनका निधन हो गया था। दरअसल, जब दिलजीत वहां शॉट दे रहे थे तो उनके हाथ में तुम्बी थी। जब वो गोली खाकर गिरे रहे थे तो तुम्बी का तार उनके हाथ में चुभ गया और उनके हाथ से खून गिर रहा था। उसी क्षण उनको ऐसी फीलिंग हुई कि उसी जगह पर अमर सिंह चमकीला का खून गिरा हुआ था। आपके दिमाग में जो सवाल चलते हैं क्या आप अपने नायकों के जरिए उसका जवाब पाना चाहते हो? यह जरूर हो सकता है, लेकिन जब मैं लिखता और डायरेक्ट करता हूं। तब मुझे इसका एहसास नहीं होता है। मैं सिर्फ कैरेक्टर को ही फॉलो करता हूं। मैं नहीं चाहता हूं कि मेरा कोई भी निशान मेरी फिल्मों में नजर आए। लेकिन उस चीज को 100 परसेंट नजर अंदाज भी नहीं कर पाता हूं। आपकी हर फिल्मों में पंजाबी कल्चर और आपकी जर्नी का एक हिस्सा जरूर होता है, तो क्या आपकी कोशिश अपनी जर्नी को दर्शकों तक पहुंचाना है? नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है, मेरी तो कोशिश इसके विपरीत होती है। मैं सोचता हूं कि फिल्म में मेरा कोई टच ना हो, लेकिन वह आ ही जाता है। गरीब आदमी हो या अमीर आदमी वो ट्रैवल जरूर करता है। जब वह ट्रैवल करता है तो उसे अच्छा महसूस होता है। यात्रा में बहुत सारी अच्छी चीजें होती हैं, कुछ नयापन भी आता है। यह नयापन बहुत ड्रमैटिक होता है। इसमें बहुत सारी कहानियां आपके दिमाग में बनती हैं और आपके आस – पास से आती हैं। वो कहानियां फिल्म में आ जाती हैं। जब वो कहानियां फिल्म में आती हैं तो उसे आप शूट करने के लिए फिर ट्रैवल करते हैं। शूटिंग के दौरान फिर नई चीजें जेहन में आने लगती हैं। मेरे साथ अक्सर ऐसा होता रहता है। शूटिंग के दौरान की ऐसी कोई बात जो अभी भी आप के दिल में हो ? पंजाब के गांव के लोगों का बहुत ही शुक्रगुजार हूं। मुझे इतने अच्छे लोग जिंदगी में कहीं भी नहीं मिले हैं। उन्होंने अपने घरों में शूटिंग करने दी और खुद घर से बाहर रहे। ताकि हमें शूटिंग करने में कोई तकलीफ ना हो। उन्हें यह भी नहीं पता था कि इस चीज का उन्हें पैसा भी मिलेगा। अपने घरों से खाना खिलाया। उनमें से कई लोगों को फिल्म में काम दिया। फिल्म में काम करने की खुशी किसी को भी हो सकती है। वहां दिलजीत दोसांझ जैसे स्टार थे,लेकिन फिर भी उनको किसी ने भी डिस्टर्ब नहीं किया। किसी ने यह जाकर नहीं कहा कि उनके साथ फोटो चाहिए। दिलजीत और परिणीति की ऐसी कोई बात जो आपको सबसे खास लगी? दिलजीत प्योर इंसान हैं। बहुत ही रिजर्व रहते हैं, शर्मीले हैं। उनकी एक बात मुझे बहुत अच्छी लगती है कि वो फील ज्यादा करते हैं और बोलते कम हैं। परिणिती की सबसे अच्छी बात यह है कि जब आप उनसे बात करते हैं तब वो बहुत ही फ्रेंडली बात करती हैं। अमर सिंह चमकीला की ऐसी कौन सी बात रही हैं, जिसने आप को सबसे ज्यादा प्रभावित किया ? इतने बड़े स्टार होने के बाद भी वो स्टार नहीं, बल्कि सेवक थे। वो ऑडियन्स की सेवा करते थे। कभी भी उन्होंने ऑडियन्स को ना नहीं बोला। ऑडियन्स के लिए उन्होंने अपनी जिंदगी दे दी। यह उनकी सबसे खास बात मुझे लगी, जिससे मैं बहुत प्रभावित हुआ था। आप को इस बात का खौफ नहीं होता है कि बाजार क्या कहेगा, फिल्म चलेगी कि नहीं, या फिर लोग क्या सोचेंगे ? यह बात तो किसी को नहीं पता होता है कि फिल्म चलेगी कि नहीं चलेगी। मेरी कुछ फिल्में चली हैं, कुछ नहीं भी चली हैं। जो मुझे पसंद आ रहा है, शायद ही दूसरों को पसंद आए। मुझे भी ऑडियंस और डायरेक्टर के रूप में नया चाहिए। मैं मार्केट की इज्जत करता हूं। हर आर्ट की एक कीमत होती है। वह कीमत प्राप्त होनी चाहिए। ऑडियंस को पसंद आना चाहिए, यह भी मैं जानता हूं। मैं सोचता हूं कि हर आर्टिस्ट को थोड़ा बेशरम भी होना चाहिए। उसका कमीटमेंट बाजार से नहीं होता है। एक आर्टिस्ट का कमिटमेंट ऑडियंस से होता है। मैं रूल्स से ज्यादा ऑडियंस के सेंस को पसंद करता हूं। वो बेपरवाही कहां से लाते हैं कि अपनी भी फिल्मों की आलोचना कर सकते हैं ? जब आप इंटरव्यू दे रहे होते हैं तो वहीं एक ऐसा वक्त होता है जब आप अपनी पुरानी फिल्मों के बारे में सोचते हैं। मैं झूठ बोलकर आपको इंप्रेस कर दूंगा, लेकिन खुद को कंफ्यूज कर दूंगा। जब मैं झूठ बोलता हूं तो उस झूठ में धीरे – धीरे विश्वास करने लगता हूं। मैं जानता हूं कि मुझे बेहतर फिल्में बनानी है। इसके लिए मेरी कोशिश यही रहती है कि खुद का एनालिसिस सच्चाई से करूं। चमकीला में सबसे बड़ा चैलेंज क्या था? इसमें सबसे बड़ा चैलेंज यही था कि पंजाबी सिंगर पर हिंदी फिल्म कैसे बनाएं। आपकी फिल्मों में एक अलग ही फिलॉसफी दिखती है? ज्यादातर हिन्दुस्तानी बहुत फिलोसोफिकल होते ही हैं। मैंने तो अशिक्षित किसानों को भी गांव में बोलते हुए देखा है कि कण – कण में भगवान हैं। इस तरह की बातों से भी थोड़ा प्रभावित हूं। बचपन से भगवत गीता से बहुत प्रभावित रहा हूं और उसकी बहुत सारी बातों को जीवन में फॉलो करने की कोशिश करता हूं। रोमियो जूलियत और राधा कृष्ण की लव स्टोरी आपको काफी प्रभावित करती है ? जी हां, राधा और कृष्ण की। सुना है राधा कृष्ण पर फिल्म भी बनाने वाले हैं? मैं बहुत कोशिश कर रहा हूं। मेरे ऑफिस में राधा और कृष्ण का बहुत ही सुंदर फ्रेम भी है। उसमें कृष्ण का रंग जामुनी है। हमने शास्त्रों में पढ़ा है कि कृष्ण का रंग जामुनी था। दुआ कीजिए कि ऐसा कुछ हो सके कि मैं फिल्म बना सकूं। उसके लिए हमें अपने अंदर बहुत क्षमता पैदा करना पड़ेगा। इसमें आप किसको कास्ट करना चाहेंगे ? कास्ट के बारे में अभी कुछ भी कहना बहुत मुश्किल है। यह अलग ही चैप्टर है। जब मैं कहानी लिखता हूं तो कास्ट के बारे में नहीं सोचता हूं। कहानी लिखने के बाद जब स्क्रीनप्ले पूरा हो जाता है तब सोचता हूं कि क्या कास्ट होगी।

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