…जब गोपी ने बैडमिंटन खिलाड़ियों के लिए गिरवी रखा था अपना घर

नई दिल्ली
भारत की राष्ट्रीय बैडमिंटन टीम के कोच पुलेला गोपीचंद को आज हर कोई जानता है। उनकी अकादमी में प्रशिक्षण लेने वाले खिलाड़ी जैसे साइना नेहवाल, पी.वी. सिंधु, किदांबी श्रीकांत, हर ओर से सुर्खियां बटोर रहे हैं। हालांकि, एक समय ऐसा भी था जब इन खिलाड़ियों को सुविधाएं देने के लिए गोपीचंद ने अपना घर गिरवी रख दिया था।

गोपीचंद ने कहा कि इन खिलाड़ियों की जीत से मिलने वाली खुशी ही उन्हें कहीं ओर से नहीं मिल सकती। भारत के ऑल इंग्लैंड चैंपियन गोपीचंद ने 2003 में गाचीबावली के सरकारी स्टेडियम में कोचिंग शुरू की थी। उस समय उनके पास फंड बिल्कुल भी नहीं था। तब पारुपल्ली कश्यप, सिंधु, साइना, बी सुमित रेड्डी, एन सिक्की रेड्डी, गुरुसाई दत्त, बी. साई प्रणीत जूनियर खिलाड़ी थे।

गोपीचंद ने कहा, ‘मैं यह नहीं कहूंगा कि मैंने जो किया इन बच्चों के लिए किया। मैंने यह स्वयं के लिए भी किया। कोचिंग के शुरुआती दौर में इनकी जीत से जो सुख मुझे मिलता था, वह शानदार था। मैं यह हमेशा से सुनते हुए आया था कि भारतीय खिलाड़ी अच्छे नहीं हैं और किस प्रकार से भारतीय अच्छे बैडमिंटन खिलाड़ी नहीं बन सकते। मेरे लिए इस कथन को गलत साबित करना ही सबसे बड़ी चुनौती थी।’

कोच गोपी ने कहा, ‘मेरे लिए और इन बच्चों के लिए बड़े अंतरराष्ट्रीय टूर्नमेंट जीतना बेहद महत्वपूर्ण था। मैं आज जब पीछे मुड़कर देखता हूं, तो उन सभी चीजों को देखकर हैरान हो जाता हूं, जो मैंने इनके लिए की थी। मैं 5-6 घंटे अभ्यास करता और फिर फंड के लिए कॉरपोरेट हाउसों के चक्कर काटता, जहां से मुझे मदद नहीं मिलती थी। मैं शाम को कोचिंग के लिए अकादमी पहुंच जाता था। मुझे नहीं पता कि मेरी जेब से कितना पैसा गया, लेकिन जो सुख मुझे इनकी जीत से मिलता था, वह किसी ओर चीज से नहीं मिलता था।’

गोपीचंद ने कहा कि इन खिलाड़ियों को विश्व के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों के रूप में देखने की खुशी हासिल करने के लिए उन्होंने बहुत कुछ किया है। उनके लिए यह खिलाड़ी उनकी दुनिया बन गए थे और इन खिलाड़ियों की जीत से गोपीचंद को सुकून मिलता था।

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