चीन में कोरोना के मामलों में तेजी से दुनिया भर में चिंता

चीन में कोरोना महामारी फिर से पांव पसार रही है। अस्पतालों में भर्ती होने वाले संक्रमितों की तादाद तेजी से बढ़ रही और मौत के आंकड़ों में भी इजाफा हो रहा है। ऐसे में उद्योग और विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को न केवल महामारी के लिहाज से बल्कि चीन से आने वाले दवाओं के कच्चे माल की आपूर्ति पर भी कड़ी नजर रखने की जरूरत है। चीन, जापान, अमेरिका में कोरोना वायरस के मामले बढ़ने के बीच केंद्र ने सभी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों से कोविड-19 की जांच के नमूनों का जीनोम सीक्वेंसिंग बढ़ाने के लिए कहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया बुधवार को मामले की समीक्षा के लिए बैठक करेंगे।

महामारी विज्ञानियों के अनुसार इस बात की चिंता है कि चीन में कोविड-19 का प्रसार वायरस के नए उत्परिवर्तन को जन्म दे सकता है। बीते सोमवार को अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने चिंता व्यक्त की कि वायरस तेजी से फैल रहा है और उसमें उत्परिवर्तन से दुनिया भर के लोगों के लिए खतरा पैदा हो सकता है।
अमेरिका के महामारी विज्ञानी और स्वास्थ्य अर्थशास्त्री एरिक फेगल-डिंग ने ट्वीट किया, ‘अगले 90 दिनों में चीन के 60 फीसदी से अधिक और दुनिया की 10 फीसदी आबादी के संक्रमित होने का अनुमान है और इससे लाखों लोगों की मौत होने की भी आशंका है।’

भारत के वरिष्ठ विषाणु विज्ञानियों का कहना है कि सार्स-कोव-2 वायरस काफी हद तक अप्रत्याशित रहा है इसलिए इस पर पैनी नजर रखने की जरूरत है। वरिष्ठ विषाणु विज्ञानी जैकब जॉन ने कहा कि चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है लेकिन चीन की ​​स्थिति पर नजर रखनी होगी। उन्होंने कहा, ‘हमारी जनसंख्या का प्रतिरक्षा स्तर इस समय अधिक है और ओमीक्रोन के उप-स्वरूप घातक नहीं हैं। लेकिन जहां तक संभव हो मास्क पहनने का समय आ गया है।’

महामारी शुरू होने के बाद से चीन के कुल मामले 20 लाख के करीब हैं लेकिन दैनिक मामलों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। हालांकि पिछले सात दिन के औसत संक्रमण के आंकड़े महीने की शुरुआत में 40,791 थे जो सोमवार को घटकर 2,820 रह गए हैं। चीन की बड़ी चिंता कम टीकाकरण दर की वजह से भी है, जिसके कारण लोगों को वायरस संक्रमण का ज्यादा खतरा है। कुल बूस्टर खुराक की संख्या प्रति 100 लोगों पर 60 से कम है। भारत में बूस्टर खुराक का आंकड़ा और भी कम है। यहां प्रति 100 लोगों में से 15.7 लोगों ने बूस्टर खुराक ली है। यह वै​श्विक औसत 33.3 और निम्न-मध्य आय वाले देशों के 17.8 से भी कम है।

माइक्रोबायोलॉजिस्ट और क्रि​श्चियन मेडिकल कॉलेज, वेलूर की प्राध्यापक गगनदीप कांग ने भी स्वीकारा कि यह चीन के लिए अच्छी खबर नहीं है। उन्होंने कहा, ‘चीन की आबादी का बड़ा हिस्सा संक्रमित हो सकता है और बुजुर्ग आबादी में गंभीर बीमारी का ज्यादा जो​खिम होगा। चीन में ऐसे बुजुर्ग लोगों की तादाद काफी ज्यादा है जिन्होंने बूस्टर खुराक नहीं ली है और वे संक्रमित हो सकते हैं। इनमें से कई को गंभीर बीमारी होने और मौत का भी
जो​खिम होगा।’

माइक्रोबायोलॉजिस्ट और क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, वेलूर की प्राध्यापक गगनदीप कांग ने कहा कि दिसंबर 2021 से फरवरी 2022 के दौरान भारत में कम से कम 50 फीसदी आबादी कोरोनावायरस से संक्रमित हुई थी और मौत के आंकड़े भी बढ़े थे लेकिन यह अप्रैल 2021 की तरह नहीं था। उन्होंने कहा, ‘सर्दियों के मौसम में अक्सर लोगों को सांस की बीमारी होती है और अस्पतालों में मरीजों के भर्ती होने की तादाद बढ़ जाती है। ऐसे में अस्पताल के कर्मचारी बीमार होते हैं तो इससे स्वास्थ्य देखभाल पर असर पड़ता है। चीन को इन सबसे निपटना होगा लेकिन यह ओमीक्रोन है, डेल्टा नहीं।’

मुंबई में 400 बिस्तरों वाले पीडी हिंदुजा हॉस्पिटल के मुख्य परिचालन अधिकारी जॉय चक्रवर्ती ने कहा कि सांस के संक्रमण के मामले बढ़े हैं और रोगी लगातार खांसी की शिकायत कर रहे हैं लेकिन अस्पताल में भर्ती होने वालों की संख्या अभी बहुत अधिक नहीं है। हालांकि भारत में कोविड-19 के आंकड़े उम्मीद की किरण जगाते हैं। देश में मंगलवार को केवल 112 नए मामले दर्ज किए गए और कुल सक्रिय संक्रमितों की संख्या 3,490 रही। यह सोमवार को 1,06,139 नमूनों की जांच के बाद का आंकड़ा है।

एपीआई के कच्चे माल के बढ़ सकते हैं दाम

भारत में संक्रमितों की संख्या में फिलहाल तेजी आने की संभावना नहीं है लेकिन चीन से कच्चे माल की आपूर्ति पर नजर रखने की जरूरत है। अमेरिका और यूरोप में भी फ्लू का मौसम चल रहा है और दुनिया भी में ऐंटीबायोटिक्स की मांग बढ़ गई है। एरिक डिंग ने चीन द्वारा की जाने वाली आपूर्ति को दूसरी जगह भेजे जाने पर चिंता जताई है। उद्योग से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘अमेरिका और यूरोप में ऐंटीबायोटिक्स की मांग बढ़ गई है। भारत में पर्याप्त भंडार है और फिलहाल चिंता की बात नहीं है। लेकिन कीमतों में उतार-चढ़ाव दिख सकता है।’

लुधियाना की थोक ड्रग और रसायन विनिर्माता और आईब्रूफेन के एपीआई की आपूर्ति में एक-तिहाई वैश्विक बाजार हिस्सेदारी वाली कंपनी आईओएल केमिकल्स ऐंड फार्मास्युटिकल्स का शेयर बीएसई पर आज 5.74 फीसदी बढ़त पर बंद हुआ। इंडियन ड्रग मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विरंची शाह ने कहा कि भारत में प्रति माह 2,500 टन पैरासिटामॉल की मांग है। सौभाग्य से हम अब इस प्रमुख एनाल्जेसिक दवा का प्रति माह 7,000 टन का उत्पादन कर रहे हैं। साथ ही करीब तीन कंपनियों ने पैरासिटामॉल का कच्चा माल बनाना शुरू कर दिया है। इसलिए जहां तक पैरासिटामॉल का संबंध है, चिंता जैसी कोई बात नहीं है।

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