चीनी कंपनियां भी अपने कारखानों में बेचेंगी एथनॉल मिला पेट्रोल!

चीनी कारखाने एथनॉल की खपत को बढ़ावा देने और कमाई का नया जरिया तैयार करने के लिए चीनी कारखाने अपनी उत्पादन इकाइयों को ऊर्जा केंद्र (एनर्जी हब) में बदलने की योजना पर काम कर रहे हैं। इसके तहत वे एथनॉल मिला पेट्रोल बेचेंगे, आसपास के इलाकों की रसोई गैस की मांग पूरी करने के लिए बायो-सीएनजी बनाएंगे और बेचेंगे तथा स्थानीय मांग को पूरा करने के लिए बायो-सीएनजी और स्थानीय उपभोक्ताओं के लिए कई तरह की ऊर्जा के केंद्र बनेंगे। इनके ज्यादातर ग्राहक किसान हो सकते हैं।

अधिकारियों ने बताया कि इस प्रस्ताव के खाके पर उद्योग के शीर्ष अधिकारियों और इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) तथा नैशनल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज (एनएफसीएसएफ) जैसे संगठनों के बीच चर्चा हो चुकी है। इस्मा तो चाहता है कि पहले इस प्रस्ताव की व्यवहार्यता और लागत के मुकाबले होने वाला लाभ जांचने का काम किसी पेशेवर एजेंसी को दिया जाए। उसके बाद ही वित्तीय सहायता और जरूरी मंजूरी हासिल करने के लिए केंद्र सरकार से बात की जाए।

इस्मा के प्रेसिडेंट आदित्य झुनझुनवाला के अनुसार इस योजना का मकसद देश भर में गांवों के बीच में बनी 500 के करीब चीनी मिलों को पेट्रोल पंप खोलने लायक बनाना है। इन पंपों से एथनॉल मिला पेट्रोल बेचा जाएगा, घरेलू ग्राहकों के लिए बायो-सीएनजी बनाई तथा बेची जाएगी और मिल परिसर में ही ई-वाहनों की चार्जिंग के केंद्र भी बनाए जाएंगे।

अगर ग्रामीण इलाकों में ऐसे फ्लेक्स-फ्यूल पर चलने वाले वाहन मौजूद हों तो 20 फीसदी से भी अधिक एथनॉल वाला पेट्रोल इन पंपों से बेचा जा सकता है। सिंचाई पंप बनाने वाली अग्रणी कंपनियों से तो एथनॉल से चलने वाले पंप बनाने के लिए बात भी शुरू हो गई है। इन पंपों को ऐसे कारखानों से रीफिल कराया जा सकता है।

झुनझुनवाला ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘हमारी मिलों में गन्ना पहुंचाने के लिए हर साल हजारों ट्रैक्टर आते हैं। यदि उन्हें कारखाने के भीतर ही एथनॉल मिला पेट्रोल मिल जाए तो कंपनियों के लिए कमाई का अच्छा स्रोत हो सकता है। इससे एथनॉल को तेल मार्केटिंग कंपनियों (ओएमसी) के डिपो तक पहुंचाने में होने वाला खर्च भी बच सकता है।’ उन्होंने कहा कि चीनी कारखानों से 40 से 50 किलोमीटर के दायरे में रहने वाले किसानों को ऐसे ईंधन की खुदरा बिक्री और दूसरी सेवाओं से बहुत राहत मिल सकती है। 

एनएफसीएसएफ के महानिदेशक प्रकाश नाइकनवरे ने कहा कि अभी पेट्रोल में एथनॉल मिलाने का काम ओएमसी के डिपो में किया जाता है, जो काम चीनी मिलों में भी हो सकता है। इससे चीनी कंपनियों को कमाई का एक और जरिया मिल जाएगा। उन्होंने कहा, ‘एनएफसीएसएफ पूरी तरह इस विचार का समर्थन करता है। उद्योग के साथ बातचीत में भूतल परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने भी कई बार इसका समर्थन किया है।’

झुनझुनवाला ने कहा कि देश भर में लगी 500 के करीब चीनी मिलों में से हरेक मिल अगर अपने परिसरों में कम से कम पांच पेट्रोल पंप लगाती है तो देश में 2,500 ऐसे पंप लग जाएंगे, जो 20 फीसदी से अधिक एथनॉल वाला पेट्रोल बेचेंगे। उन्होंने कहा, ‘ब्राजील में ऐसे वाहन हैं जो 100 फीसदी एथनॉल पर चल सकते हैं। हमने भी पूरी तरह एथनॉल पर चलने वाले ट्रैक्टर और अन्य मशीनें तैयार करने के लिए वाहन उद्योग से बात शुरू कर दी है।’ झुनझुनवाला ने कहा कि मांग बढ़ी तो चीनी उद्योग अपने अतिरिक्त उत्पादन में से 1 करोड़ चीनी रोककर 10 अरब लीटर एथनॉल भी बना सकता है।

फिलहाल सरकार ने 2025 तक पेट्रोल में 20 फीसदी एथनॉल मिलाने का महत्त्वाकांक्षी कार्यक्रम शुरू कर दिया है। इसके लिए देश में लगभग 14.5 अरब लीटर (10.5 अरब लीटर केवल पेट्रोल में मिलाने के ही लिए) एथनॉल की उत्पादन क्षमता हासिल करनी होगी। बाकी उत्पादन स्टार्च और रसायन उद्योग के लिए अलग रखना होगा। मोटा अनुमान यह है कि 7.6 अरब लीटर एथनॉल गन्ने से बनाना होगा और 7.2 अरब लीटर एथनॉल अनाज तथा उससे इतर स्रोतों जैसे धान की ठूंठ आदि से आएगा।

 

The post चीनी कंपनियां भी अपने कारखानों में बेचेंगी एथनॉल मिला पेट्रोल! appeared first on बिज़नेस स्टैंडर्ड.

बिज़नेस स्टैंडर्ड