घरेलू सहायिका की बेटी बनीं छत्तीसगढ़ की पहली महिला ओलिंपियन
|रियो ओलिंपिक में भारतीय महिला टीम में रेणुका यादव भी खेलतीं नजर आएंगी। मंगलवार को घोषित की गई भारतीय महिला हॉकी टीम में उन्हें भी जगह दी गई है। छत्तीसगढ़ की रेणुका के लिए ओलिंपिक में खेलना बेहद खास बात है। छत्तीसगढ़ के राजनंदगांव में बेहद गरीबी में पली बढ़ी रेणुका ने कठिन परिश्रम के बल पर यह मुकाम हासिल किया है।
रेणुका के पिता डेयरी चलाते हैं और मां भी उसी काम में मदद करती हैं। रेणुका अपनी मां के साथ घर-घर जाकर दूध बेचती थी। रेणुका के पिता मोतीलाल यादव बेटी की उपलब्धि से बेहद खुश हैं। रेणुका का घर टूटे-फूटे खपरैल से बना है। इसी से उनकी आर्थिक स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। इस गरीबी में भी रेणुका ने संघर्ष जारी रखा और हॉकी खेलती रहीं।
स्कूल जाने से पहले रेणुका सुबह घर-घर जाकर साइकिल से लोगों को दूध बेचती थीं। उनकी मां भी दूसरे घरों में काम कर बेटी के सपनों को पंख लगाती रहीं और अब मौका आया कि वह ऊंची उड़ान भरने को तैयार है। रेणुका अपने प्रदेश की पहली महिला खिलाड़ी हैं जो ओलिंपिक में किसी खेल में हिस्सा लेंगी।
रेणुका के शानदार प्रदर्शन को देखते हुए उन्हें 2009 में स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया, ग्वालियर में प्रवेश मिला। यहीं से उनकी एंट्री जूनियर महिला हॉकी टीम में हुई। 2013 में उनका चयन सीनियर हॉकी इंडिया टीम के कैंप में हुआ।
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