खेती में लगे मजदूरों को शहरी मजदूर बनाना चाहती है मोदी सरकार?

नई दिल्ली

मोदी सरकार अब कृषि कार्य में लगे लोगों को मैन्युफैक्चरिंग और सर्विसेज सेक्टर में ले जाना चाहती है। नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने एक सेमिनार को संबोधित करते हुए कहा कि कृषि कार्य में लगे भारत के मजदूरों की करीब आधी संख्या को मैन्युफैक्चरिंग और सर्विसेज सेक्टर में शिफ्ट करने की जरूरत है।

पनगढ़िया ने कहा, ‘अगर आप इस जनसंख्या को गरीबी में नहीं छोड़ना चाहते हैं तो लंबे समय के लिए आपको खेती मजदूरों को खेती कार्य से मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर की जॉब में शिफ्ट करना होगा।’

उन्होंने कहा कि आर्थिक परिवर्तन की रणनीति बनानी होगी। उन्होंने यह कहा कि कृषि कार्य में लगे करीब 49 फीसदी लोग जीडीपी में सिर्फ 14 फीसदी योगदान ही देते हैं। उन्होंने कहा, ‘आय के लिए इस सेक्टर पर 49 फीसदी लोग आश्रित हैं और सिर्फ 14 फीसदी ही आय कर पाते हैं। अगर आप गरीबों को तुरंत राहत पहुंचाना चाहते हैं तो कृषि के लिए कुछ अच्छे काम करने होंगे।’

उन्होंने विचार व्यक्त किया कि फार्म सेक्टर पर अधिक निर्भरता सरकार के लिए भी समस्या पैदा करती है क्योंकि जब ओलावृष्टि जैसी प्राकृतिक आपदा फसलों को तबाह कर देती है तो इसकी क्षमता को भी चुनौती मिलती है।

उन्होंने यह भी कहा कि नीति आयोग राज्यों के लिए एक सरकारी कंसल्टेंट फर्म रहेगी और उनको बाहरी एक्सपर्ट्स से जोड़ेगा और उनको अच्छी प्रैक्टिस अपनाने में सहायता करेगा। लेकिन, उन्होंने कहा कि आयोग का राज्यों के साथ संबंध बदल रहा है क्योंकि अब संस्था के हाथ में फंड आबंटित करने और उनकी योजनाओं को मंजूरी देना नहीं रह गया है।

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