खिताबी हार दुखद, लेकिन मैंने अपना बेस्ट दिया: पीवी सिंधु

नोएडा
रियो ओलिंपिक और वर्ल्ड चैंपियनशिप की सिल्वर मेडल विनर पीवी सिंधु के लिए यह एक और जोरदार साल रहा। कोच पुलेला गोपीचंद के साथ टाइम्स ऑफ इंडिया के नोएडा ऑफिस पहुंचीं सिंधु ने 2017 में किए गए अपने प्रदर्शन, 2018 की चुनौतियों और अपनी तैयारियों के बारे में खुलकर बात की। बता दें कि 22 साल की इस स्टार शटलर ने 2017 में कई कीर्तिमान स्थापित किए।

शतप्रतिशत देने पर हार का मलाल नहीं
इस दौरान उन्होंने माना कि खिताब के करीब पहुंचकर हारना काफी दुखद होता है। बावजूद इसके उन्हें इसका मलाल नहीं है। सिंधु ने कहा, ‘वर्ल्ड चैंपियनशिप्स (फाइनल) काफी लंबा मुकाबला रहा। लेकिन, जब हालात बहुत करीब होते हैं, जब यह 22-20 होता है तो यह खेल किसी का भी हो सकता है। मुझे कोई मलाल नहीं है, क्योंकि मैं वैसी नहीं हूं कि मैंने कोशिश नहीं की। मैंने तो अपना शतप्रतिशत दिया।’

दुबई सुपरसीरीज फाइनल्स में मिली वर्ल्ड नंबर 2 यामागुची से 15-21, 21-12, 21-19 से हार के बारे में सिंधु कहती हैं, ‘यह वर्ल्ड चैंपियनशिप्स की ही तरह रहा। इसलिए मैं आखिरी में थोड़ा इमोशनल हो गई थी। आप कुछ मुकाबले जीतते हैं और कुछ हारते हैं। यह बहुत (सफलता) कम है, लेकिन मैं इससे मजबूत वापसी करती हूं।’

4 जीत पर सिर्फ 1 हार भारी क्यों?

क्या सिंधु इस साल कुछ बड़े मौकों को भुनाने में असफल रही? के जवाब में कोच गोपीचंद कहते हैं, ‘जहां सुपरसीरीज जैसे टूर्नमेंट के ग्रुप स्टेज के दौरान उन्होंने बड़े खिलाड़ियों को हराया, ऐसे में फाइनल में मिली 1 हार के कारण 4 जीत को भूलना गलत।’ साथ ही उन्होंने कहा, ‘4 जीत को पॉजिटिव लेने की अपेक्षा 1 हार को नेगेटिव लेना बहुत आसान होता है।’

इसलिए शानदार रहा साल
किदाम्बी श्रीकांत के लिए यह साल काफी शानदार रहा। उन्होंने 4 सुपरसीरीज टाइटल जीते। इस बारे में नैशनल कोच गोपीचंद ने कहा, ‘यह साल जोरदार रहा।’ उन्होंने कहा, ‘यह कहना ठीक होगा कि पिछले साल के मुकाबले यह साल बेहतर था। सुपरसीरीज के पुरुष इवेंट में 2 खिलाड़ी फाइनल में पहुंचे और अन्य खिलाड़ियों ने भी शानदार प्रदर्शन किया। महिला सर्किट भी भारतीय बैडमिंटन के लिए बहुत अच्छा रहा। इसके लिए मैं बहुत खुश हूं।’

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पीएम मोदी पॉजिटिव, पूरी होती दिख रहीं उम्मीदें
ओलिंपिक टास्क फोर्स के बारे में बात करते हुए, जिसका वह हिस्सा थे, और जिनकी सिफारिशें अभी लागू नहीं हुई हैं, गोपीचंद ने कहा, ‘यहां निश्चित रूप से उम्मीदें हैं। सबसे बड़ी बात है कि देश के सबसे बड़े अथॉरिटी प्रधानमंत्री खुद इस बारे में बात कर रहे हैं। उनका इरादा दिखा रहा है कि वह कुछ करना चाहते हैं। और भी कई लोग हैं, जैसे खेल मंत्री (राज्यवर्धन सिंह राठौर), जो खुद भी ओलिंपियन रहे हैं। मेरे हिसाब से इसे बनाने के लिए यह हमारे पास सबसे बेहतर मौका है। मैं केवल आशा कर सकता हूं कि यह अब होगा, क्योंकि अगर यह अब नहीं हुआ, तो मुझे यह कभी भी होता नहीं दिख रहा है।’

2018 के लिए यह होनी चाहिए स्ट्रैटिज

कॉमनवेल्थ गेम्स, ऐशियन गेम्स टूर्नमेंट सहित वयस्त साल 2018 के बारे में उन्होंने कहा, ‘यह लगभग ऐसा ही है, जैसे किसी एक साल में 4 अतिरिक्त टूर्नमेंट खेलने हैं, जिसमें सिंगल और डबल्स शामिल हैं। इसका हमारे खिलाड़ियों पर अतिरिक्त दबाव होगा। महत्वपूर्ण यह है कि हमें अपनी हारों को जल्द से जल्द भुलाना होगा। तब जाकर हम अगले टूर्नमेंट के लिए मानसिक और शारीरिक तौर पर तैयार हो सकेंगे।’

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