क्या रिजर्व बैंक के आदेश के बाद बिटकॉइन में निवेश करने वालों का पैसा डूब जाएगा?

मुंबर्इ
रिजर्व बैंक ने बिटकॉइन और बाकी वर्चुअल करंसीज पर रोक लगा दी है। इसके पहले क्रिप्टोकरंसी में इन्वेस्टमेंट को लेकर केंद्रीय बैंक ने कर्इ बार चेतावनी दी थी। यह कदम लगभग 50 लाख भारतीयों को प्रभावित करेगा, जिन्होंने क्रिप्टोकरंसी में निवेश किया है।

देश में वर्चुअल करंसीज ट्रेड कर रहे क्रिप्टोएक्सचेंज भी इससे प्रभावित होंगे। एक अनुमान के मुताबिक, भारत में 2 अरब डॉलर का निवेश बिटकॉइन में है। आरबीआई ने बैंकों, ई-वॉलिट आदि को किसी व्यक्ति या संस्था को क्रिप्टोकरंसी खरीदने की सुविधा देने पर पाबंदी लगा दी है। सवाल यही है कि क्या बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरंसीज में इन्वेस्ट करने वाले लोगों का पैसा डूब जाएगा?

वैसे तो आरबीआई का कदम तत्काल प्रभाव से लागू है, लेकिन इसमें मौजूदा निवेशकों को निकलने का रास्ता दिया गया है। आरबीआर्इ के डेप्युटी गवर्नर बी.पी. कानूनगो ने कहा, ‘बैंक, एनबीएफसी सहित रिजर्व बैंक जिन संस्थाओं का नियंत्रण करता है, उन सभी को वर्चुअल करंसी के जोखिम से बचाने का फैसला किया गया है। उन्हें इन वर्चुअल करंसी में ट्रेड करने वाली संस्थाओं के साथ कारोबारी संबंध खत्म करने होंगे। इसके लिए तीन महीने का समय दिया गया है।’

यानी अगर आपने बिटकॉइन जैसी किसी वर्चुअल करेंसी में निवेश किया है, तो आपके पास तीन महीने का समय है। चाहे तो आप इससे बाहर निकल आएं या इसमें बने रहें।

मौजूदा निवेशक क्या कर सकते हैंॽ
रिजर्व बैंक का निर्देश मुख्य रूप से बैंकों के लिए है, लेकिन इसका निवेशकों पर जरूर असर पड़ेगा। कारण है कि वर्चुअल करंसी में कारोबार करने के लिए असली रकम की जरूरत होगी। इसलिए निवेशकों की चिंता लाजिमी है। वे क्रिप्टोकरंसी से निकलना भी चाहें तो भी दिक्कत है। फिलहाल उनके पास दो विकल्प हैं…

पहला: बाहर निकल आने का
वर्चुअल करंसी पर बैन लगाने से पहले सरकार ने भी चेतावनी दी थी। अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने साफ कहा था कि सरकार क्रिप्टोकरंसी को मान्यता नहीं देती है। इनोवेशन फर्म दीप एयरो के सलाहकार इश्मित सिंह कहते हैं, ‘क्रिप्टोकरंसी के मौजूदा निवेशकों के लिए सबसे अच्छा है कि वे भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से दिए गए समय का इस्तेमाल करें। इन्हें बेचकर वे देश में प्रॉपर्टीज या अन्य साधनों में निवेश करें।’

क्रिप्टोकरंसी से अपना पैसा निकालने में भी समस्याएं आ सकती हैं। यह पूरी तरह इस बात पर निर्भर करेगा कि आपने निवेश करने के लिए किस तरह के क्रिप्टो एक्सचेंज का इस्तेमाल किया है।

दूसरा विकल्प: ग्लोबल एक्सचेंज में ट्रांसफर करने का
वर्चुअल करंसी में आप अपने निवेश को बनाए रख सकते हैं। इसके लिए आपको भारतीय क्रिप्टो एक्सचेंज में अपने निवेश को किसी विदेशी एक्सचेंज में ट्रांसफर करना होगा। टेक्नॉलजी कंसल्टिंग फर्म वर्चुसा कॉर्प में वाइस प्रेजिडेंट (बैंकिंग व फाइनैंशल सर्विसेज) दीपक किंगर ने कहा कि लंबे समय तक ट्रेडिंग करने के इच्छुक निवेशकों के सामने रास्ता खुला है। वे इसे जारी रखने के लिए बाइनेंस और कॉइनबेस जैसे ग्लोबल एक्सचेंज की तरफ देख सकते हैं। ये एक्सचेंज बिटकॉइन, रिपल, लाइटकॉइन और इथीरियम सहित तमाम क्रिप्टो करंसीज को मान्यता देते हैं।

हालांकि, इस मामले में विदेशी विनिमय से जुड़े नियमों का ध्यान देना होगा। सिंह कहते हैं कि अगर क्रिप्टो-एसेट को भारत के बाहर एक्सचेंजों में बेचा जाता है तो यह लेन-देन विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के तहत आ सकता है।

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