कलेक्ट्रेट की आलमारियों में कैद अगस्त क्रांति के दस्तावेज

इलाहाबाद
देश को अंग्रेजी शासन से तो मुक्ति मिल गई लेकिन ‘आजादी के नायकों’ से जुड़े दस्तावेज अब भी अपनी ‘रिहाई’ के लिए छटपटा रहे हैं। वर्षों से प्रतापगढ़ कलेक्ट्रेट की आलमारियों में कैद इन सैकड़ों दस्तावेजों को क्षेत्रीय अभिलेखागार तक पहुंचाने के लिए दो वर्षों से प्रयास चल रहे हैं। हालांकि, अधिकारियों की लापरवाही के कारण इस दस्तावेजों को ट्रांसफर करने की प्रक्रिया तक शुरू नहीं हो पाई है। जबकि बोर्ड ऑफ रेवेन्यू भी इस संबंध में जिला प्रशासन को पत्र लिख चुका है।

1942 में भारत छोड़ो आंदोलन (अगस्त क्रांति) का असर पूरे देश में था। इलाहाबाद मंडल स्वतंत्रता संग्राम का प्रमुख केन्द्र था इसलिए इलाहाबाद समेत आसपास के जिलों में क्रांतिकारी मुखर थे। इस आंदोलन में शामिल क्रांतिकारियों से जुड़े दस्तावेज अब भी संबंधित जिलों के कलेक्ट्रेट और क्षेत्रीय अभिलेखागार में मौजूद हैं। प्रतापगढ़ कलेक्ट्रेट की दो आलमारियों में रखे करीब 300 ऐसे दस्तावेजों की खोज क्षेत्रीय अभिलेखागार के कर्मचारियों ने मार्च 2015 में की, जो ऐसे क्रांतिकारियों से जुड़े हैं जिन्होंने अगस्त क्रांति में भाग लिया था और 1945 में रिलीज किया जाना था।

अभिलेखागार ने इस संबंध में प्रतापगढ़ के जिलाधिकारी को पत्र लिखकर ऐसे दस्तावेजों की लिस्ट तैयार करवाने और अभिलेखागार को सौंपने का अनुरोध किया। लेकिन जब कोई जवाब नहीं मिला तो अगस्त 2016 में रिमाइंडर भेजा गया। इसके साथ ही बोर्ड आफ रेवेन्यू को भी पत्र लिखा गया। बोर्ड आफ रेवेन्यू ने भी प्रतापगढ़ के जिलाधिकारी को पत्र लिखकर दस्तावेज सौंपने को कहा। लेकिन अब तक दस्तावेजों की न तो सूची बनी न ही सौंपे गए।

इलाहाबाद के डीएम ने दी थीं 510 फाइलें
स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी 510 फाइलें इलाहाबाद के कलेक्ट्रेट में वर्षों से आलमारियों में बंद थीं। हालांकि, 1978 से चल रहा प्रयास 2016 में तब सफल हुआ जब डीएम संजय कुमार ने इन फाइलों को क्षेत्रीय अभिलेखागार को सौंपने का आदेश दिया।

क्या कहती है अभिलेख नीति
उत्तर प्रदेश अभिलेख नीति 1990 के अनुसार, ऐतिहासिक महत्व के अभिलेखों को क्षेत्रीय अभिलेखागारों को ट्रांसफर किए जाने का प्रावधान है। इसमें कहा गया है कि कलेक्ट्रेट, कमिश्नरी और ऐसे सभी कार्यालयों में मौजूद अभिलेखों की सूची तैयार कर उन्हें अभिलेखागार को स्थाानांतरित कर दिया जाए। जिससे उनका समुचित संरक्षण हो और शोध के लिए विद्यार्थी भी इसका उपयोग कर सकें।

क्षेत्रीय अभिलेख अधिकारी ए.के.अग्निहोत्री ने कहा, ‘प्रतापगढ़ कलेक्ट्रेट से अगस्त क्रांति के अभिलेखों को हासिल करने का प्रयास दो वर्ष से चल रहा है। अब हम अपने कर्मचारियों की मदद से ही कैम्प लगवाकर सूची तैयार करवाने का प्रयास करेंगे। जिससे दस्तावेजों का मुल्यांकन कर स्थानांतरित करवाया जा सके।’

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