कमिश्नर से ‘मुलाकात’ पर गुस्साए निगम पार्षद
|नॉर्थ एमसीडी की बैठक में सभी दलों के पार्षदों ने कमिश्नर मधुप व्यास व अन्य आला अफसरों के व्यवहार पर खासी नाखुशी जताई और इस बात की शिकायत की कि वे मिलने के लिए समय नहीं देते हैं। कमिश्नर का कहना था कि वह सुबह एक घंटा ही पार्षदों से मिलेंगे, जिससे सदन में खासा हंगामा हुआ और कमिश्नर को आड़े हाथों लिया गया और उनके फरमान को तुगलकी बताया गया। बैठक में कमिश्नर को यह भी ताकीद किया गया कि कर्मचारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग मसले पर पार्षदों की सलाह का भी ध्यान रखा जाए।,
एमसीडी मुख्यालय में हुई यह बैठक शाम चार बजे के बजाय सवा छह बजे तक चली, जिसमें कई मसले उठाए गए। कांग्रेस पार्षद पूनम बागड़ी ने सबसे पहले अफसरों की नाफरमानी का मसला उठाया और कहा कि किसी काम से जाओ न तो डिप्टी कमिश्नर और न ही कमिश्नर उनसे मुलाकात करते हैं। उन्होंने सदन में आरोप लगाया कि ये आला अधिकारी मिलने आने वाले कारोबारियों को तो तुरंत मिल लेते हैं, लेकिन उन्हें मिलने के लिए नहीं बुलाते। पार्षदों से लगातार इंतजार करवाया जाता है और बाद में कह दिया जाता है कि संबंधित अफसरों से मिल लो। उनकी बातों का समर्थन सुदेश राणा ने भी किया। मेयर प्रीति अग्रवाल ने इस मसले पर कमिश्नर मधुप व्यास से पूछा तो उनका कहना था कि उन्होंने पार्षदों से मिलने के लिए एक घंटा का टाइम रखा हुआ है। वह पार्षदों से इसलिए भी नहीं मिल पाते हैं क्योंकि उन्हें केंद्र सरकार, उपराज्यपाल के साथ लगातार बैठकें करनी होती हैं।
उनके इस टाइम फिक्सिंग मामले पर सभी दलों के पार्षदों ने खासी नाराजगी जाहिर की और पूछा कि कमिश्नर जनप्रतिनिधियों के साथ मिलने का समय कैसे तय कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि कमिश्नर का यह तुगलकी फरमान है। उन्होंने कहा कि कमिश्नर ने तमाशा बना रखा है। मुकेश के अनुसार सदन सर्वोपरि हैं, उन्हें सदन और पार्षदों का कहना मानना होगा। उन्होंने चेतावनी दी कि अधिकारी निगम पार्षदों के अधिकारों के साथ खिलवाड़ न करें। सत्ता पक्ष की पार्षद गरिमा शर्मा ने जब पार्कों के रखरखाव के लिए फंड की मांग की तो कमिश्नर ने राजस्व की कमी बताते हुए फंड देने से इनकार कर दिया। इस पर मेयर प्रीति अग्रवाल ने खासी नाखुशी जताई और कमिश्नर से फंड देने के लिए उपाय करने को कहा। बैठक में नेता सदन जयेंद्र डबास, रवि कप्तान, सीमा ताहिरा, आले मुहम्मद ने भी विभिन्न मसले उठाए और आरोप लगाया कि पार्षदों की सुनवाई नहीं हो रही है और निगम अधिकारी भ्रष्टाचार कर रहे हैं।
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