औद्योगिक वृद्धि दर घटी, मुद्रास्फीति नये निचले स्तर पर

नयी दिल्ली, 12 जुलाई भाषा खनन क्षेत्र के खराब प्रदर्शन के चलते मई महीने में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर घटकर 1.7 प्रतिशत रह गई जबकि इसी दौरान खुदरा मुद्रास्फीति 1.54 प्रतिशत के एतिहासिक निचले स्तर पर आ गई। इससे भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा अगले महीने नीतिगत ब्याज दर में कटौती की मांग जोर पकड़ने की संभावना है।

केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार सब्जियों, दालों व दुग्ध उत्पादों जैसी खाद्य वस्तुओं के सस्ता होने के कारण खुदरा मुद्रास्फीति जून महीने में 1.54 प्रतिशत के ऐतिहासिक निचले स्तर पर आ गई।

भारतीय रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीतिक जोखिमों का हवाला देते हुए नीतिगत ब्याज दरों में यथास्थिति बनाए रखी है।

आंकड़ों के अनुसार औद्योगिक उत्पादन सूचकांक :आईआईपी: पर आधारित औद्योगिक वृद्धि दर अप्रैल-मई में घटकर 2.3 प्रतिशत पर आ गयी जो इससे पिछले विा वर्ष की इसी अवधि में 7.3 प्रतिशत थी।

आंकड़ों के अनुसार पूंजीगत वस्तु खंड में उत्पादन 3.9 प्रतिशत घट गया जबकि मई 2016 में इसमें 13.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। उपभोक्ता टिकाउु खंड में भी गिरावट दर्ज की गयी।

खनन क्षेत्र में उत्पादन इस साल मई में 0.9 प्रतिशत घटा जबकि एक साल पहले इसी महीने में इसमें 5.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर आलोच्य महीने में घटकर 1.2 प्रतिशत पर आ गयी जो पिछले वर्ष मई महीने में 8.6 प्रतिशत थी।

उल्लेखनीय है कि सरकार जोर दे रही है कि रिजर्व बैंक नीतिगत ब्याज दरों में कटौती करे ताकि निजी निवेश को बढ़ावा दिया जा सके। उद्योग जगत भी निवेश बढ़ाने के लिए लगातार दर कटौती की मांग कर रहा है।

मुद्रास्फीति आंकड़ों पर मुख्य आर्थकि सलाहकार अरविंद सुब्रमणियन ने संवाददाताओं से कहा, 1.54 प्रतिशत का यह आंकड़ा ऐतिहासिक निचला स्तर है और यह व्यापक आर्थकि स्थिरता में मजबूती को दिखाता है।

उन्होंने कहा, मामूली रूप से अलग उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आईडब्ल्यू के अनुसार मुद्रास्फीति का यह स्तर इससे पहले 1999 व उससे पहले अगस्त 1978 में रहा था।

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक सीपीआई की नवीनतम श्रृंखला जनवरी 2012 में लागू की गई।

उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से इन आंकड़ों तथा ताजा औद्योगिक उत्पादन के आंकड़ों को सभी नीति निर्माताओं को काफी अधिक सावधानी से देखना होगा।

उल्लेखनीय है कि भारतीय रिजर्व बैंक अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा में मुख्य रूप से खुदरा मुद्रास्फीति पर गौर करता है। बैंक की आगामी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा अगस्त के शुरू में आनी है।

उद्योग मंडल फिक्की ने कहा, उपभोक्ता टिकाउु खंड की वृद्धि को ध्यान में रखते हुए ब्याज दर में कटौती से मांग को बल मिलेगा व निवेश बहाल होगा।

वहीं एसोचैम का कहना है कि नीतिगत ब्याज दर में कटौती की गुंजाइश है।

खाद्य उत्पाद खंड की मुद्रास्फीति कुल मिलाकर और घटकर 2.12 रह गई जो कि मई में 1.05 प्रतिशत रही थी।

वहीं सब्जियों की मुद्रास्फीति घटकर 16.53 प्रतिशत व दाल दलहनों की 21.92 प्रतिशत रही।

प्रोटीन आधारित मांस व मछली उत्पाद इस दौरान महंगे हुए और इनकी मुद्रास्फीति जून में 3.49 प्रतिशत रही जो कि मई में 1.87 प्रतिशत थी।

भाषा

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