ऐपल की रणनीति को मोदी सरकार के फैसले से लगा करारा झटका
|भारत में अपने कारोबार को बढ़ाने की कोशिशों में जुटी दुनिया की दिग्गज टेक कंपनी ऐपल को केंद्र सरकार ने करारा झटका दिया है। सरकार ने ऐपल को पुराने स्मार्टफोन्स को आयात करने और यहां बेचने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है। सरकार का कहना है कि इससे देश में खतरनाक ई-कचरा बढ़ेगा, यह पर्यावरण के लिए लिहाज से सही नहीं होगा। स्मार्टफोन निर्माता कंपनी के लिए सरकार का यह फैसला झटका है क्योंकि वह भारत में अपने कारोबार को बढ़ाने की तैयारी कर रही है। दुनिया भर में आईफोन की सेल में कमी के बीच ऐपल के सीईओ टिम कुक ने भारत में कारोबार को लेकर उम्मीद जताई थी।
2015 में ऐपल के स्मार्टफोन्स की बिक्री में भारत में 56 पर्सेंट का इजाफा हुआ। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘इस मामले पर हमने अपने विचार संबंधित पक्षों को बता दिए हैं।’ केंद्र ने पिछले साल अगस्त में ही नोकिया, ऐपल और आईबीएम जैसी कंपनियों की ओर से यूज्ड फोन और इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स के आयात पर रोक लगा दी थी। ऐपल ने इसे हटाने की मांग की थी, जिसे पर्यावरण मंत्रालय ने खारिज कर दिया। सरकार का यह विचार ऐपल की रणनीति के लिए करारा झटका है, जो भारत में यूज्ड फोन की सेल कर कारोबार बढ़ाना चाहती थी।
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पूरी दुनिया भारत स्मार्टफोन का सबसे तेजी से बढ़ता बाजार है। ऐपल का मानना था कि पुराने फोन्स को आयात कर वह उन भारतीय ग्राहकों तक अपनी पहुंच बना सकेगी, जो उसके स्मार्टफोन्स को महंगी कीमतों के चलने नहीं लेते। इस पूरे मामले में ऐपल ने इकनॉमिक टाइम्स के किसी सवाल का जवाब देने से इनकार कर दिया। इकनॉमिक टाइम्स ने पिछले महीने ही यह रिपोर्ट दी थी कि सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स ऐंड इन्फॉर्मेशन टेक्नॉलजी विभाग ने पर्यावरण मंत्रालय को पुराने फोन्स के आयात की मंजूरी के खिलाफ राय दी है।
ऐपल की इस मांग का भारतीय फोन निर्माता कंपनियों ने भी यह कहते हुए विरोध किया था कि इससे देश में पुराने फोन्स की बाढ़ आ जाएगी। कंपनियों का तर्क था कि इससे केंद्र सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ की नीति पर भी गलत असर पड़ेगा।
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