एसआईटी ने डीआरआई से पूछा: क्या 505 अरब डॉलर धन भारत से बाहर गया?

नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट द्वारा काले धन पर नियुक्त विशेष जांच दल (एसआईटी) ने राजस्व आसूचना निदेशालय (डीआरआई) से इस बात की पुष्टि करने को कहा है कि क्या 2004-2013 के दौरान देश से 505 अरब डॉलर (करीब 34 हजार अरब रुपये) धन बाहर गया था? इस अवधि में केंद्र में कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार सत्ता में थी।

डीआरआई को यह निर्देश ऐसे समय दिया गया जबकि अमेरिका के एक रिसर्च इंस्टिट्यूट ग्लोबल फाइनैंस इंटेग्रिटी ने एक रिपोर्ट जारी की है। इसमें कहा गया है कि कालाधन बाहर भेजे जाने के लिहाज से भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा देश रहा है जहां से 2004 से 2013 के बीच हर साल 51 अरब डॉलर (करीब 3 हजार अरब रुपये) धन बाहर गया है।

वित्त मंत्रालय के एक बयान में कहा है, ‘एसआईटी ने ग्लोबल फाइनैंशल इंटेग्रिटी से उक्त अवधि में हर साल के दौरान भेजे गए अवैध धन प्रवाह के बारे में देशवार ब्योरा हासलि किया है।’ उक्त ब्योरा आठ फरवरी को डीआरआई को भेजा गया और उससे ‘कहा गया है कि वह इसकी पुष्टि करे कि ये आकलन कितने सही हैं।’

एसआईटी का विचार है कि चूंकि ग्लोबल फाइनैंशल इंटेग्रिटी जैसे संस्थानों की रिपोर्टों का ऐकडेमिक क्षेत्रों एवे विभिन्न बहसों में व्यापक इस्तेमाल होता है, ‘इस तरह की रिपोर्टों की सत्यता जांचना बहुत महत्वपूर्ण है।’ इसके अनुसार डीआरई से रिपोर्ट मिलने के बाद एसआईटी आगे जरूरी कदम उठाएगा।

रिपोर्ट के अनुसार ग्लोबल फाइनैंशल इंटेग्रिटी की रिपोर्ट ‘2004-2013 के दौरान विकासशील देशों से अवैध धन प्रवाह’ में अनुमान है कि भारत से 2004 से 2013 के दौरान जो कालाधन बाहर गया वह 505 अरब डॉलर हो सकता है। इसके अनुसार एसआईटी ने अपनी विभिन्न रिपोर्टों में व्यापार आधारित मनी लॉन्ड्रिंग के जोखिमों को रेखांकित किया है जो कि देश से अवैध धन बाहर भेजने का प्रमुख माध्यम है।

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