एलजी बोले, सीसीटीवी कैमरे लगाने को लेकर नहीं मिला कोई प्रस्ताव

नई दिल्ली
सीसीटीवी के मुद्दे पर दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच आरोप-प्रत्यारोप जारी है। उपमुख्यमंत्री के पत्र का जवाब उपराज्यपाल अनिल बैजल ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भेजा है। उपराज्यपाल ने कहा कि बार-बार और जानबूझकर जनता और मीडिया को गुमराह करना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि सीसीटीवी कैमरे लगाने में हो रही देरी का आरोप गलत है और यह सच नहीं है, क्योंकि सीसीटीवी से संबंधित कोई प्रस्ताव नहीं मिला है।

उपराज्यपाल ऑफिस ने रविवार को बयान में कहा कि उन्हें इतना पता चला है कि पीडब्ल्यूडी के सीसीटीवी लगाने के काम के प्रस्ताव का कैबिनेट नोट अभी तक प्रसारित नहीं किया गया है। इसलिए मामला सिर्फ चुनी हुई सरकार के पास लंबित है। ऑफिस ने साफ कहा है कि सीसीटीवी टेंडर प्रस्ताव को रोकने के लिए उपराज्यपाल की तरफ से कोई निर्देश जारी नहीं किया गया है। बता दें कि मनीष सिसोदिया ने उपराज्यपाल को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि उन्होंने राजधानी में सीसीटीवी लगाने के काम को रोक दिया है। उपराज्यपाल का कहना है कि चुनी हुई सरकार पिछले तीन साल से सीसीटीवी लगाने के बारे में बात कर रही है। बिना किसी ठोस प्रगति के दिल्ली पुलिस, डीएमआरसी, डीडीए, लोकल एजेंसी, मार्केट असोसिएशन, आरडब्ल्यूए आदि की तरफ से शहर में 2 लाख से ज्यादा कैमरे पहले ही लगाए जा चुके हैं। हालांकि इनका इस्तेमाल बिना किसी फ्रेम वर्क के किया जा रहा है।

बैजल ने कहा कि भारी तादाद में सीसीटीवी लगाने से आम लोगों की प्रिवेसी पर असर पड़ सकता है। इसलिए इसके संचालन के लिए नियम और कानून की जरूरत है। पब्लिक सेक्टर में सीसीटीवी कैमरे लगाने से लेकर इसके मैनेजमेंट के लिए कमिटी बनाई गई है, ताकि शहर में सीसीटीवी लगाने और उसके फुटेज का मिसयूज नहीं हो, इसके लिए किसी की जवाबदेही तय हो। उन्होंने कहा कि कमिटी का गठन सिस्टम बनाने के लिए किया गया है और उसे चुनी सरकार के सीसीटीवी कैमरों के काम को रोकने का कोई आदेश नहीं दिया गया है।

अपने पत्र में उपराज्यपाल ने कहा है कि मुख्यमंत्री सीसीटीवी के कामकाज की निगरानी के लिए एक सिस्टम बनाने पर सहमत होंगे, क्योंकि 10 मई को एक स्कूली छात्रा की मौत की दुर्भाग्यपूर्ण घटना की सीसीटीवी रिकॉर्डिंग उपलब्ध नहीं है। ऐसी स्थिति में मीडिया में झूठी जानकारी फैल रही है कि काम देने के प्रस्ताव को उपराज्यपाल ऑफिस द्वारा रोका गया है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है और चुनी हुई सरकार का यह मुद्दा महिलाओं की सुरक्षा के मूल मुद्दे को और कमजोर करने का प्रयास लगता है।

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