एजेंसियां करें अब भारत की रेटिंग में सुधार: सुभाष चंद्र गर्ग

नई दिल्ली
फिच रेटिंग्स द्वारा लगातार 12वें साल भारत की रेटिंग में सुधार से इनकार के बाद सरकार ने कहा है कि देश की साख को अपग्रेड करना चाहिए। सरकार का कहना है कि देश ने कई संरचनात्मक और बुनियादी सुधारों को आगे बढ़ाया है और ऐसे में उसकी रेटिंग में सुधार का मामला बनता है।

आर्थिक मामलों के सचिव सुभांष चंद्र गर्ग ने पीटीआई से कहा कि फिच की कार्रवाई हैरान करने वाली नहीं है, क्योंकि पहले ही विचार-विमर्श में रेटिंग एजेंसी ने कहा था कि वह सरकार के ऋण के स्तर पर ध्यान केंद्रित करेगी। हालांकि, भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर उसका रुख काफी अनुकूल है।

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गर्ग ने कहा, ‘हमारा ईमानदारी से मानना है कि भारत रेटिंग अपग्रेड का हकदार है। प्रदर्शन, वृहद आर्थिक मानक सभी में स्थिरता है।’ उन्होंने कहा कि सरकार लगातार रेटिंग एजेंसियों से बातचीत कर अपनी उपलब्धियों और अर्थव्यवस्था के वास्तविक प्रदर्शन के बारे में भरोसा दिलाने का प्रयास करती रहेगी। उन्होंने कहा कि अभी तक जो संरचनात्मक और बुनियादी सुधार आगे बढ़ाए गए हैं वे वास्तव में वैश्विक और काफी बड़े हैं।

गर्ग ने कहा कि गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) ने देश की अप्रत्यक्ष कराधान प्रणाली को बदल दिया है, जबकि दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता ने देश के गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए) के निपटान के तरीके को बदल दिया है। इसके अलावा रीयल एस्टेट नियमन और विकास कानून (रेरा) ने रीयल्टी क्षेत्र में बदलाव किया है।

राष्ट्रीय बायॉमेट्रिक पहचान आधार ने लोगों की पहचान का सांस्थानिकरण किया है। इसके अलावा उन्होंने देश से भागे आर्थिक अपराधियों से निपटने के लिए हाल में बने कानून का भी जिक्र किया। गर्ग ने कहा कि मैं इस बात पर जोर दूंगा कि जो भी सुधार किए गए हैं वे काफी बड़े हैं। फिच ने शुक्रवार को भारत की सॉवरेन रेटिंग को ट्रिपल बी- पर कायम रखा है। यह निचली निवेश ग्रेड की रेटिंग है।

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