एजुकेशन पर बीजेपी-कांग्रेस को ‘आप’ की चुनौती

नई दिल्ली

दिल्ली सरकार ने अपने स्कूलों से बीजेपी-कांग्रेस शासित राज्य के सरकारी स्कूलों के बीच कॉम्पिटिशन करने की चुनौती दी है। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया का कहना है कि एक निष्पक्ष एजेंसी से सर्वे कराया जाए। इससे पता लगाया जा सकता है कि कहां के स्कूलों में सुधार हो रहा है। दिल्ली के सरकारी स्कूलों को लेकर बीजेपी विधायक विजेंद्र गुप्ता सहित कांग्रेस दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन ने सवाल उठाए थे। इन्हीं सवालों को लेकर मनीष सिसोदिया ने बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को लेटर लिखा है।

सिसोदिया ने लेटर में लिखा, ‘यह खुशी की बात है कि नेता शिक्षा पर बात करने लगे हैं। आम आदमी पार्टी (आप) शुरू से शिक्षित राष्ट्र-समर्थ राष्ट्र के तहत दिल्ली में काम कर रही है। सरकार ने शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए बजट में भी इजाफा किया। स्कूल में शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए जहां चुनाव के जरिए एसएमसी का गठन हर स्कूल में हो रहा है, वहीं टीचिंग में सुधार लाने के लिए टीचर्स को विदेश ट्रेनिंग के लिए भेजा गया है। ‘आप’ देश में महज पांच साल पुरानी पार्टी होने के बाद भी शिक्षा जरूरत को समझती है। आपकी पार्टी काफी पुरानी हैं। देश के कई राज्यों में आपकी सत्ता है। ऐसे में आपसे उम्मीद की जा सकती है कि आप शिक्षा में बदलाव के लिए प्रयास करें।’

उन्होंने कहा, ‘आपके नेता कहते हैं कि हमारी सरकार शिक्षा के क्षेत्र में अच्छा काम नहीं कर रही है। जहां आपकी 10-15 सालों से सरकार है, वहां के स्कूलों और दिल्ली सरकार के स्कूलों का एक निष्पक्ष एजेंसी से सर्वे करवा लिया जाए। देखा जाए कि आपकी सरकार बेहतर काम कर रही है या या हमारी सरकार। इस प्रतियोगिता से देश की शिक्षा में सुधार होगा। राजनीतिक दल भी शिक्षा के मुद्दे पर राजनीति करने के लिए प्रेरित होंगे।’

मनीष ने अमित शाह को लिखे पत्र में कहा, ‘दिल्ली में शिक्षा के मुद्दे पर हमें बोलने के लिए मजबूर किया तो हमें लगा कि हमारा राजनीति में आना सफल हो गया। उम्मीद है कि मेरे प्रस्ताव को स्वीकार करेंगे। आपने आम आदमी पार्टी के दिल्ली में सरकार बनते ही मंत्रियों और विधायकों की गाड़ियों से लालबत्ती उतरवाने के फैसले से प्रेरणा लेते हुए इसे केंद्र सरकार और तमाम ऐसे राज्यों में भी लागू करवाया, जहां आपकी सरकार पिछले 15 से 20 सालों से है। ऐसे ही शिक्षा के मामले में करेंगे।’

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