एक्साइज आंदोलन ने बदला ट्रेड पॉलिटिक्स का गणित

प्रमोद राय, नई दिल्ली
केंद्र सरकार के हालिया दो फैसलों ने दिल्ली में व्यापारिक राजनीति के समीकरण बदलने शुरू कर दिए हैं। बीजेपी के खिलाफ व्यापारियों की नाराजगी और इन दोनों ही मुद्दों पर कांग्रेस के रुख का फायदा उठाते हुए आम आदमी पार्टी ने दोनों ही दलों के व्यापारिक खेमे में तेजी से सेंध लगाई है। जूलरी पर एक्साइज और ई-कॉमर्स में सौ फीसदी एफडीआई के खिलाफ कारोबारियों की नाराजगी को भुनाने में जुटी पार्टी ने बड़े ट्रेड लीडर्स को अपने साथ जोड़ना शुरू कर दिया है। पार्टी ने एक नया दांव खेलते हुए अब हर ट्रेड के लिए अलग-अलग बोर्ड बनाने का ऐलान भी कर दिया है।

एक्साइज ड्यूटी के खिलाफ 17 मार्च को रामलीला मैदान में रैली तक जूलर्स अपने आंदोलन को गैर-राजनीतिक करार देते आ रहे थे, लेकिन पिछले एक हफ्ते में हर बाजार और ज्यादातर सभाओ में उनके बैनर-पोस्टर पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का चेहरा नजर आने लगा है। व्यापार सूत्रों का कहना है कि केजरीवाल ने बीजेपी के एक बड़े समर्थक तबके को तो अपने साथ कर ही लिया है, कांग्रेस के कई दिग्गज ट्रेड लीडर भी उनके पाले में खड़े दिख रहे हैं।

टिंबर मार्केट के जनरल सेक्रट्री अतुल जिंदल, टैंक रोड गार्मेंट असोसिएशन के पूर्व प्रेजिडेंट रमेश आहूजा, ऑल इंडिया फुटवेअर इंडस्ट्री असोसिएशन के प्रेजिडेंट अशोक गुप्ता, बवाना इंडस्ट्रीज के प्रकाश चंद सहित करीब एक दर्जन असोसिएशनों के पदाधिकारी हाल ही में पार्टी ट्रेड सेल में शामिल या सक्रिय हुए हैं। दिल्ली में एक्साइज आंदोलन की अगुवाई कर रहे जूलर, बुलियन ऐंड स्वर्णकार फेडरेशन के जनरल सेक्रट्री योगेश सिंघल के भी आप में शामिल होने की बात कही जा रही है। इनमें से ज्यादातर अपने बाजारों में बीजेपी और कांग्रेस की नुमाइंदगी करते थे।

मेहरा ऐंड संस जूलर्स के अजय मेहरा के मुताबिक अगर जूलर्स ने आंदोलन की कमान शुरू में ही केजरीवाल के हवाले की होती तो इसके नतीजे कुछ और होते। रविवार को जंतर-मंतर पर केजरीवाल की रैली में उमड़ी जूलर्स की भीड़ का असर सोमवार को कारीगरों की रैली में भी दिखा। ट्रेडर्स के बढ़ते समर्थन के बीच दिल्ली सरकार ने कहा है कि वह जल्द ही अलग-अलग ट्रेड बोर्ड बनाएगी। आप ट्रेड सेल के कन्वेनर ब्रजेश गोयल ने ‘जूलरी, ग्रेन, फुटवेअर, गार्मेंट, टेक्सटाइल, ऑटो पार्ट्स, एग्रोप्रॉडक्ट सहित सभी तरह के व्यापार के लिए ट्रेड बोर्ड बनेंगे। यह बोर्ड सरकार और उस व्यापार के बीच पुल का काम करेगा और नीति-निर्माण में अहम रोल निभाएगा।’

केंद्र सरकार के प्रति व्यापारियों की बढ़ती नाराजगी का असर बीजेपी के नजदीक समझे जाने वाले कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के सोमवार को आयोजित राष्ट्रीय महाधिवेशन में भी दिखा। संगठन ने ऐलान किया कि वह ई-कॉमर्स में एफडीआई का पुरजोर विरोध करेगा। कैट महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि सरकार ने एफडीआई को मंजूरी देकर अपने ही रुख पर यू-टर्न लिया है, जो उसे महंगा पड़ेगा।

उन्होंने कहा ‘सरकार एफडीआई से घरेलू व्यापार को बचाने के तमाम उपायों की बात करती है, लेकिन देखने वाली बात यह है कि विदेशों में ब्याज दरें 0.75 से 3 पर्सेंट तक हैं, जबकि भारत में कारोबारियों को 12-14 पर्सेंट पर लोन मिलता है। ऐसे में प्राइवेट इक्विटी या वेंचर कैपिटल के रूप में आने वाला ब्याज मुक्त पैसा देश में छा जाएगा और विदेशी कंपनियां पूरा व्यापार हथिया लेंगी।’ महाधिवेशन में कई ट्रेड लीडर्स ने बीजेपी को इस मुद्दे पर आड़े हाथ लिया।

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