एकमुश्त कमिशन कम होने से पहले MF स्कीम लॉन्च करने की होड़

प्रशांत महेश, मुंबई
म्यूचुअल फंड्स इन दिनों इक्विटी स्कीम्स लॉन्च करने की जल्दी में हैं। फाइनैंस मिनिस्टर ने आम बजट में प्रस्ताव रखा था कि 1 अप्रैल से डिस्ट्रीब्यूटर को दिए जाने वाले अपफ्रंट कमिशन की सीमा कर दी जाएगी।

इस महीने के अंत तक 23 न्यू फंड ऑफर (एनएफओ) सब्सक्रिप्शन के लिए ओपन या लॉन्च होंगे। फंड हाउस चाहते हैं कि कमिशन के मामले में हाथ बंधने से पहले वे डिस्ट्रीब्यूटर को मोटी फीस देकर ज्यादा प्रॉडक्ट्स बिकवा लें। लॉन्च हुए नए फंड्स में से 14 इक्विटी स्कीम्स हैं।

इनमें से चार एनएफओ में कोई लॉक-इन पीरियड नहीं है। इन स्कीमों को ओपन-एंडेड भी कहते हैं। बाकी एनएफओ क्लोज एंडेड हैं, जिनमें तीन से पांच साल का लॉक-इन पीरियड है। एसबीआई म्यूचुअल, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल, एलआईसी म्यूचुअल, बिड़ला म्यूचुअल, केनरा रोबेको, रिलायंस और डोएचे म्यूचुअल फंड के एनएफओ अभी सब्सक्रिप्शन के लिए खुले हैं।

इंडस्ट्री के अधिकारियों का कहना है कि कई फंड हाउस अपने प्रॉडक्ट्स बिकवाने के लिए डिस्ट्रीब्यूटर्स को 5-6% तक अपफ्रंट कमिशन दे रहे हैं। एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड इन इंडिया (एम्फी) ने फंड्स से निवेदन किया है कि 1 अप्रैल से वे अपफ्रंट कमिशन 1 पर्सेंट करें।

क्लोज-एंडेड एनएफओ को लेकर आक्रामक होने और डिस्ट्रीब्यूटर्स को 6-8 पर्सेंट तक कमिशन देने के मामले में पिछले साल इंडस्ट्री की काफी आलोचना हुई थी। सेबी ने भी इस मामले में म्यूचुअल फंड्स को तलब किया था।

मार्केट रेगुलेटर को डर था कि अपफ्रंट कमिशन ज्यादा से मिस-सेलिंग बढ़ेगी। रेगुलेटर ने इंडस्ट्री को सर्वसम्मति से डिस्ट्रीब्यूटर्स को दिए जाने वाला अपफ्रंट कमीशन घटाने और ट्रेल फीस मॉडल पर शिफ्ट होने को कहा। ट्रेल फीस मॉडल में डिस्ट्रीब्यूटर्स को एकमुश्त कमिशन के बजाय टुकड़ों-टुकड़ों में तब तक कमिशन मिलता है, जब तक इनवेस्टर्स उस स्कीम में पैसा लगाता रहता है।

एक प्राइवेट सेक्टर बैंक के एक वेल्थ मैनेजर ने कहा, ‘प्राइवेट और फॉरेन बैंक म्यूचुअल फंड्स के सबसे बड़े डिस्ट्रीब्यूटर्स हैं। वे एनएफओ बेचना पसंद करते हैं, क्योंकि इसमें अपफ्रंट कमिशन ज्यादा होता है। इससे उन्हें अपना रेवेन्यू टारगेट हासिल करने में भी मदद मिलती है।’

इंडस्ट्री एग्जिक्यूटिव्स का कहना है कि अभी एनएफओ लाने की होड़ वैसे ही लगी है, जैसी पिछले साल जनवरी से जून के बीच थी। उस वक्त म्यूचुअल फंड ने 30 क्लोज-एंडेड स्कीम्स लॉन्च किए थे। फाइनैंशल एडवाइजर्स आम तौर पर फर्स्ट टाइम इनवेस्टर्स को बगैर किसी ट्रैक रिकॉर्ड वाली स्कीम में पैसा लगाने से मना करते हैं।

दिल्ली की एक फाइनैंशल एडवाइजरी फर्म प्राइम कैपिटल के सीईओ धीरज मित्तल ने कहा, ‘हम एनएफओ सेल नहीं करते हैं, क्योंकि इनमें ऐसा कुछ नहीं होता, जिससे इसे फंड्स के मौजूदा बास्केट से अलग बताया जा सके। ऐसे डिस्ट्रीब्यूटर्स जो सिर्फ कमीशन के लिए काम करते हैं और इनवेस्टर्स के साथ उनका लॉन्ग टर्म रिलेशन नहीं होता, वही ऐसे एनएफओ बेचते हैं।’

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Navbharat Times

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