उम्मीद के साथ चिंता को प्रतिबिंबित करती है आर्थकि समीक्षा: उद्योग जगत
|सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने बयान में कहा, समीक्षा व्यापक है और दस्तावेज में बेबाकी से मौजूदा चुनौतियों को रेखांकित किया गया है। यह अर्थव्यवस्था को उसकी संभावित वृद्धि के रास्ते पर लाने के लिये भरोसेमंद समाधान की पेशकश करता है।
सीआईआई ने समीक्षा के उस आकलन से भी सहमति जताई है जिसमें कृषि दबाव, विनियम दर में वृद्धि तथा क्षेत्र केंद्रित मुद्दे की बात कही गयी है। ये मुद्दे अर्थव्यवस्था के अल्पकालीन परिदृश्य को प्रभावित करेंगे।
इसी प्रकार की राय जाहिर करते हुए फिक्की ने कहा कि समीक्षा में स्पष्ट रूप से अवसरों और जोखिम कारकों को रखा गया है जिसका भारतीय अर्थव्यवस्था के अल्पकालीन से मध्यम अवधि के वृद्धि प्रदर्शन पर प्रभाव पड़ सकता है।
उद्योग मंडल ने कहा कि जीएसटी का क््िरुयान्वयन, सैद्धांतिक रूप से एयर इंडिया के निजीकरण का निर्णय, कंपनियों तथा उन्हें कर्ज देने वाले बैंकों के बही खातों को ठीक करने के लिये उठाये गये कदम तथा विभिन्न खंडों में सुधारों के निरंतर क््िरुयान्वयन जैसे उपायों से भरोसा बढ़ेगा।
फिक्की ने कहा, हालांकि कृषि कर्ज माफी, अनाज के अलावा दूसरे खाद्य पदार्थों के दाम में कमी तथा बिजली एवं दूरसंचार जैसे क्षेत्रों के कमजोर प्रदर्शन के कारण चिंता भी बनी हुई है।
एसोचैम के महासचिव डी एस रावत ने कहा कि समीक्षा में बिजली और दूरसंचार जैसे क्षेत्रों में दबाव को रेखांकित किया गया है।
उन्होंने कहा, समीक्षा में औद्योगिक के साथ सेवा क्षेत्र में वृद्धि में नरमी को सही तरीके से रेखांकित किया गया है। ये दोनों अर्थव्यवस्था को गति देने के लिहाज से महत्वपूर्ण हैं। इन दोनों क्षेत्रों के लिये कुछ तत्काल कदम उठाने की जरूरत है….साथ ही कंपनियों तथा उन्हें कर्ज देने वाले बैंकों के बही-खातों को दुरुस्त करने के लिये व्यावहारिक कदम की जरूरत है।
भाषा
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