इस साल तो सबसे सस्ती रही हवाई उड़ान!

अनिर्बाण चौधरी, मुंबई

यात्री महंगे एयर टिकट को लेकर शिकायतें कर रहे हैं, लेकिन एयरलाइंस और ट्रैवल कंपनियों के मुताबिक मामला उलटा है। इन कंपनियों का कहना है कि 2015 के दौरान भारत में औसत एयरफेयर पिछले तीन साल में सबसे सस्ता रहा।

ट्रैवल साइट क्लियरट्रिप और एक एयरलाइन (नाम जाहिर न करने पर) के कैलकुलेशन के मुताबिक, स्पॉट बुकिंग्स और तीन से 14 दिन पहले की कैटिगरी में एयर टिकट पिछले तीन साल के मुकाबले 40 फीसदी तक सस्ते रहे। क्लियरट्रिप के चीफ रेवेन्यू ऑफिसर अमित तनेजा के मुताबिक, ‘मुख्य तौर पर इसकी दो वजहें रहीं। फ्यूल की लागत घटने से पैसेंजर पर इसका बोझ घटा और एयरलाइन सीट्स की सप्लाई बढ़ने से कॉम्पिटिशन बढ़ा, जिससे टिकट सस्ते हुए।’ उन्होंने कहा, ‘यह न भूलें कि 2012-13 में किंगफिशर एयरलाइंस की उड़ानें बंद होने के बाद कपेसिटी घटी थी। साथ ही, एयरलाइन कंपनियों ने यह फैसला किया कि इंडियन मार्केट में प्रीमियम पर कम सीटें बेचने से बेहतर है कि कम दाम पर ज्यादा सीटें बेची जाएं।’

पिछले कुछ वर्षों में इंडिया सबसे सस्ते डोमेस्टिक एयरफेयर वाले देश के तौर पर उभरा है। इसकी वजह कीमत को लेकर बेहद संवेदनशील और मध्यम वर्ग का बढ़ता आकार है। एयरलाइन कंपनियों को अपनी सीट्स भरने के लिए इसी वर्ग को लुभाना है।

पिछले साल बर्लिन की एक ट्रैवल सर्च वेबसाइट गोयुरो के एक सर्वे के मुताबिक, इंडिया में लोकल एयर टिकट फिनलैंड, स्विट्जरलैंड, ऑस्ट्रिया और एस्टोनिया के मुकाबले बहुत कम हैं। अमेरिका और ब्रिटेन जैसे बेहद विकसित देशों के साथ इसकी तुलना बेमानी है। 43 देशों की लिस्ट में सबसे सस्ता एयर टिकट इंडिया में है। इंडियन मार्केट का आधा से ज्यादा हिस्सा सस्ती एयरलाइंस के पास है। मार्केट लीडर भी नो-फ्रिल्स एयरलाइंस इडिगो है। खासतौर पर व्यस्त रहने वाले मेट्रो शहरों में इसकी फ्रिक्वेंसी ज्यादा है। नतीजतन, इंडिगो के पास प्राइसिंग ट्रेंड तय करने का मौका होता है।

इसके अलावा स्पाइसजेट के लगातार आने वाले ऑफर और एयरएशिया की आक्रामक एंट्री से देश की फुल सर्विस एयरलाइंस को भी इनके मुताबिक चलना पड़ता है। एयरएशिया में टाटा ग्रुप की हिस्सेदारी है। सिंगापुर के साथ टाटा के एयरलाइन जेवी ‘विस्तार’ ने प्रीमियम फेयर के साथ शुरुआत की थी, लेकिन हर महीने लोड फैक्टर घटने के कारण इसे भी ट्रैक चेंज करना पड़ा। इस साल सस्ते एयर टिकट के पीछे सबसे बड़ी वजह जेट फ्यूल का सस्ता होना है।

दिल्ली एयरपोर्ट पर प्रति किलोमीटर जेट फ्यूल पिछले साल दिसंबर के मुकाबले 26 फीसदी सस्ता है। वहीं, 2013 के मुकाबले 40 फीसदी और 2012 के मुकाबले 34 फीसदी सस्ता हो गया है। पिछले दो से तीन साल में एयरलाइंस की कपैसिटी में 50 फीसदी से ज्यादा बढ़ोतरी हुई है। आने वाले साल में कैपेसिटी और बढ़ सकती है क्योंकि इंडिगो और गो एयर को बड़े प्लेन की डिलीवरी मिल सकती है।

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