आर्थिक सुधार के लिए अगले 2-3 साल बेहद महत्वपूर्ण: जेटली
| वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि अगला 2-3 साल बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि सरकार कई सुधार कार्यक्रमों के कार्यान्वयन की योजना बना रही है जिससे भारत को 7-7.5 प्रतिशत की दर से अधिक वृद्धि का ‘निर्दिष्ट लक्ष्य’ प्राप्त करने में मदद मिलेगी। जेटली ने गुरुवार को कहा, ‘भारत में न सरकार, न जनता और न ही उद्योग 7-7.5 प्रतिशत की वृद्धि दर के बारे में बहुत उत्साहित है, क्योंकि हर किसी को जिनमें मैं और प्रधानमंत्री भी शामिल हैं, अहसास है कि शायद हमारी क्षमता इससे कहीं ज्यादा है।’ विचार संस्था, काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस द्वारा निवेश कंपनी वारबर्ग पिंकस के अध्यक्ष और पूर्व वित्त मंत्री टिमोथी गेटनर के साथ आयोजित परिचर्चा में जेटली ने कहा कि उनकी सरकार ने अपने एक साल के कार्यकाल में काफी फासला तय किया है। उन्होंने कहा, ‘यह फासला तय करने के बाद अगले 2-3 साल विभिन्न सुधार कार्यक्रमों के कारण बेहद महत्वपूर्ण होंगे, जो अभी प्रक्रिया में है और उन सबका कार्यान्वयन करना है। हमने अब समस्या वाले सभी क्षेत्रों की पहचान कर ली है और एक-एक करके जैसे-जैसे हम उनका समाधान करेंगे, उम्मीद है कि हमें अपने निर्दिष्ट लक्ष्य तक पहुंच जाना चाहिए।’ अमेरिका की 10 दिन की यात्रा पर आए जेटली ने कहा कि वृहद-आर्थिक संकेतक और आंकड़े अच्छे नजर आ रहे हैं, लेकिन आकांक्षा कहीं अधिक है। उन्होंने पिछले कुछ सालों में कहा कि अर्थव्यवस्था के तौर पर भारत की विश्वसनीयता डांवाडोल की जा रही थी। उन्होंने कहा, ‘पिछले कुछ साल में हमने अपनी राह एक बार फिर खो दी थी। राह खोने की वजह यह थी कि राजनीतिक संचालन और नीति के लिहाज से हमने गलती की।’ उन्होंने कहा, ‘राजनीतिक शक्ति के बगैर निर्णय प्रक्रिया ठहर गई। प्रधानमंत्री की राय आखिरी नहीं होती थी और एक गंभीर आशंका थी कि गलत वजहों से फैसले किए जा रहे हैं या नहीं किए जा रहे हैं।’ जेटली ने कहा कि 2014 के आम चुनाव के नतीजों से स्पष्ट हुआ कि ‘वंशवाद का करिश्मा’ जिसकी बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका थी, नहीं चला। उन्होंने कहा, ‘नरेंद्र मोदी की व्यक्तिगत स्वीकार्यता, पार्टी की स्वीकार्यता से करीब 15-20 अंक अधिक थी। इसका अर्थ है नेता अपनी निर्णय क्षमता की छवि के कारण पार्टी से बड़ा हो रहा था। निश्चित तौर पर अकांक्षाएं बहुत अधिक होंगी।’ जेटली ने कहा कि सरकार एक अप्रैल 2016 से जीएसटी लागू करना चाहती है। एफडीआई के लिए कुछ अन्य क्षेत्रों को खोलने के संबंध में पूछने पर जेटली ने कहा कि सरकार ने इस संबंध में समीक्षा की है। यदि आप उम्मीद करते हैं कि हर क्षेत्र की निवेश सीमा तुरंत बढ़ जाएगी तो शायद ऐसा न हो लेकिन सरकार इस दिशा में आगे बढ़ रही है। भूमि सुधार पर जेटली ने कहा कि 2013 के भूमि कानून की किसान अनुकूल कानून के तौर पर गलत व्याख्या की गई थी। यह दरअसल ग्रामीण क्षेत्र के लिए सबसे प्रतिकूल कानून है क्योंकि यह सिंचाई परियोजना, ग्रामीण इलाके में सडकें, ग्रामीण विद्युतीकरण परियोजनाओं के लिए बाधा पैदा करता है क्योंकि यह उनके लिए भूमि उपलब्ध नहीं कराता। उन्होंने कहा, ‘यह ग्रामीण इलाकों में सस्ते आवास और उद्योग की स्थापना के लिए बाधा पैदा करता है जो इन इलाकों में रोजगार के वैकल्पिक स्रोत मुहैया करा सकता है।’
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