आईओ की हरकतों से बचे आरोपी

जांच अधिकारी ने आरोपियों की शिनाख्त परेड तक नहीं करवाई। इस तरह के केस में यह बहुत जरूरी था

-अदालत

प्रमुख संवाददाता, नोएडा

आठ साल पहले पूरे देश को हिला देने वाले गढ़ी चौखंडी गैंगरेप की जांच पुलिस की लापरवाही का शिकार हो गई। एक प्राइवेट यूनिवर्सिटी की 24 साल की एमबीए स्टूडेंट से नौ युवकों के गैंगरेप करने जैसी गंभीर वारदात के बाद नोएडा पुलिस ने लापरवाही, आननफानन और अनप्रफेशनल तरीके से इस केस की जांच की। दिल्ली के तीसहजारी कोर्ट ने कहा है कि इनवेस्टिगेटिंग अफसर (आईओ) ने सही कानूनी प्रक्रिया को नहीं अपनाया और आरोपियों की शिनाख्त परेड तक नहीं करवाई। इस केस में यह बहुत जरूरी था। इससे सही आरोपियों की पहचान नहीं हो सकी और उन्हें कानूनी प्रक्रिया का सामना भी नहीं करना पड़ा। अदालत ने इस गैंगरेप पर फैसला सुनाते हुए कहा है कि जांच अधिकारी की इस भूमिका के चलते सही आरोपियों की पहचान न हो पाने के चलते नौ लोगों को बरी किया गया है।

अडिशनल सेशन जज शैल जैन ने अपने आदेश में कहा है कि जांच अधिकारी द्वारा किसी जांच को खराब करने का यह उत्कृष्ट उदाहरण है। अपने आदेश में जज ने कहा है कि भले ही पीड़िता ने आरोपियों की पहचान की है, लेकिन घटना रात के अंधेरे में जंगल में होने के चलते उसकी पहचान संदेह के दायरे में है। इसी संदेह का लाभ आरोपियों को मिल गया। कोर्ट ने अपने आदेश में इस केस के आईओ रहे अनिल समानिया के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश नोएडा के एसएसपी को दिया है।

यह वारदात 5 जनवरी 2009 को हुई थी। एमबीए छात्रा साथ पढ़ने वाले दोस्त के साथ जीआईपी मॉल से दिल्ली अपने घर लौट रही थी। इस दौरान क्रिकेट मैच खेल कर लौट रहे कुछ लड़कों ने जबरन उन्हें रोक लिया और बैट व स्टंप से मारपीट करके उन्हें गढ़ी चौखंडी गांव के पास सुनसान इलाके में ले गए। वहां उनके साथी भी पहुंच गए और 11 लोगों ने लड़की के साथ गैंगरेप किया था। वारदात के बाद आरोपी उनके मोबाइल फोन, घड़ियां और एटीएम कार्ड भी लूट ले गए थे।

इस मामले में पुलिस ने गढ़ी चौखंडी में रहने वाले पुष्पेंद्र उर्फ टुईंया, श्रीकांत, संजय, गौतम, सुधीर, लिटल, ओंकार, पुष्पेंद्र, शशिकांत, गोलू के अलावा एक नाबालिग को गिरफ्तार किया था। पुलिस ने आरोपियों के फिंगर प्रिंट लेने में भी गड़बड़ी कर दी थी। इस केस की पैरवी कर रहे पीड़िता के साथी ने आरोपियों की तरफ से मिल रही धमकियों के चलते केस को दिल्ली ट्रांसफर करने की कोर्ट से अपील की थी। जिसके चलते इस केस की सुनवाई दिल्ली के कोर्ट में चल रही थी। सुनवाई के दौरान टुइयां की मौत हो गई थी।

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