आईआईटी में संस्कृत तो आईआईएम में मनुस्मृति पढ़ाइए
|नई दिल्ली. स्मृति ईरानी केंद्र में मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्री हैं। और वे मानव और संसाधन (खासकर बौद्धिक) के विकास को बेचैन हैं। शायद इसीलिए उन्होंने लोकसभा में प्रस्ताव दे डाला, ‘इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी यानी आईआईटी में पढ़ने वालों को संस्कृत भी पढ़ाई जानी चाहिए।’ क्यों हो रहा है इसका विरोध… – लेकिन सोशल मीडिया यूजर्स तमाम बौद्धिक और तकनीकी संसाधनों का इस्तेमाल कर उन्हें ही तरह-तरह के प्रस्ताव देने लगे हैं। – ऐसे ही एक हैं, अरुण मैसूर। वे ट्विटर पर लिखते हैं, ‘आईआईटी में संस्कृत पढ़ानी है तो आईआईएम में मनुस्मृति भी पढ़ाइए।’ – दिल्ली के आदित्य कौल ट्वीट करते हैं, ‘मेडिकल कॉलेजों में भी संस्कृत पढ़वा दीजिए। ताकि पता लगे कि गणेश जी के सिर का ट्रांसप्लांट किस तकनीक से हुआ था।’ – रमेश श्रीवास्तव लिखते हैं, ‘तुम मूर्ख लोग कभी स्मृति की दूरदर्शिता को समझ नहीं पाओगे। जब आईआईटियन्स टाइम मशीन बनाएंगे और बीते युग में जाएंगे, तो उन्हें संस्कृत जानना जरूरी होगा न।’ – नितिन अरोरा अंग्रेजी-संस्कृत का फर्क बता रहे…