असम में पतंजलि को जमीन देने से नाराज उल्फा

बिकाश सिंह, गुवाहाटी सर्बानंद सोनोवाल असम के मुख्यमंत्री पद की शपथ मंगलवार को लेने जा रहे हैं, लेकिन राज्य में बीजेपी की गठबंधन सहयोगी बोडोलैंपल्स फ्रंट (बीपीएफ) को योग गुरु बाबा रामदेव के पतंजलि ट्रस्ट को जमीन अलॉट करने को लेकर विरोध झेलना पड़ रहा है। उनको अपने ही धड़े यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) की नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है।

टीम अन्ना के पूर्व सदस्य और कृषक मुक्ति संग्राम समिति के अध्यक्ष अखिल गोगोई ने बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल (बीटीसी) के पतंजलि को जमीन अलॉट करने के कदम का विरोध किया है। राज्य के नए मुख्यमंत्री सोनोवाल को शुरू में ही इस मामले से निपटना होगा। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जमीन बड़ी चुनौती होगी और रामदेव के मुद्दे को हल करना होगा। उनका कहना है कि भविष्य में इनवेस्टमेंट इस पर निर्भर करेगा। अखिल गोगोई पहले लैंड पॉलिसी के खिलाफ लगातार आंदोलन करते रहे हैं।
इंडस्ट्री लैंड ट्रांसफर के कानूनों को आसान करने की मांग कर रही है। कांग्रेस की पिछली सरकार ने कानूनों में बदलाव किया था। इनके तहत अब खेती की ऐसी जमीन के ट्रांसफर और उस पर नॉन-एग्रीकल्चरल एक्टिविटी की अनुमति है, जिस पर खेती से जुड़ा कोई काम नहीं हो रहा है। बातचीत का विरोध करने वाले उल्फा के धड़े के कमांडर इन चीफ परेश बरुआ ने रामदेव को जमीन अलॉट करने के फैसले पर दोबारा विचार करने की अपील की है। रामदेव मंगलवार को सोनोवाल के शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लेंगे।
उल्फा के प्रमुख अभिजीत असोम ने सोमवार को मीडिया को ईमेल से भेजे बयान में कहा कि रामदेव की इतनी बड़ी जमीन लेने के पीछे कुछ गलत उद्देश्य है। उन्होंने कहा, ‘हम योग के विरोध में नहीं हैं। लेकिन जैसे एक मुस्लिम को प्रार्थना करने के लिए किसी विशेष स्थान की जरूरत नहीं होती, वैसे ही योग के लिए किसी खास जगह की जरूरत नहीं है। योग गुरु वास्तव में असम में अपना आयुर्वेदिक उत्पादों का कारोबार फैलाकर पैसा कमाना चाहते हैं।’ बयान के मुताबिक, ‘चिंता की बात यह भी है कि रामदेव यहां पतंजलि ट्रस्ट के नाम पर आरएसएस की राजनीति की फैक्टरी खोलने के लिए जमीन चाहते हैं।’ अखिल गोगोई ने हमारे सहयोगी अखबार इकनॉमिक टाइम्स से कहा, ‘रामदेव बड़ी जमीन पर डेयरी खोलना चाहते हैं। 3,800 हेक्टेयर में से केवल 400 हेक्टेयर निर्जन है, बाकी की जमीन पर लोग बसे हुए हैं। हम अलॉटमेंट के खिलाफ प्रदर्शन जारी रखेंगे।’
2011 में रामलीला मैदान में रामदेव पर यूपीए सरकार की सख्ती के बाद असम में कांग्रेस सरकार ने आश्रम के लिए रामदेव को जमीन का अलॉटमेंट रद्द कर दिया था।

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