अरबपति एनआरआई रॉबिन रैना भारत के बेघर लोगों के लिए बनाएंगे 6,000 घर

कौंतेय सिन्हा, लंदन
साल 2010 में कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए भारत में स्लम बस्तियों को बेरहमी से उजाड़ दिया गया था। तब इनमें रहने वाले हजारों परिवार बेघर हो गए थे। एनआरआई रॉबिन रैना वह मंजर याद कर आज भी दुखी हो जाते हैं। अरबों का कारोबार कर रही बेहद कामयाब अमेरिकी सॉफ्टवेयर कंपनी के मालिक रॉबिन ने हाल ही में लंदन स्टॉक एक्सचेंज के साथ कई अरब की डील की है। उन्होंने अब दिल्ली-नोएडा में रह रहे शरणार्थियों के लिए मकान बनाने का फैसला किया है। इससे पहले वह लाल किले के पीछे रह रहे शरणार्थियों के लिए 1732 मकान बना चुके हैं।

रॉबिन रैना एक इंटरव्यू में हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि उनका अगला मिशन दिल्ली और नोएडा के बेघरों के लिए 6 हजार से ज्यादा मकान बनाने का है। इस योजना के तहत वह 2 करोड़ डॉलर (करीब सवा अरब रुपये) खर्च करने वाले हैं। अपने इस मिशन के बारे में उन्होंने बताया कि दुनिया में अभी करीब 10 करोड़ लोग बेघर हैं। उन बेघरों की रोज-रोज की पीड़ा और असुरक्षा की कल्पना कर वह तड़प उठते हैं।

उन्होंने बताया कि इसी वजह से उन्होंने हाल ही में रॉबिन रैना फाउंडेशन नाम की एक संस्था की स्थापना की है। रॉबिन बताते हैं, ‘पिछले दो दशकों में एशिया और अफ्रीका की यात्रा के दौरान मैंने कुपोषित और विकलांग बच्चों को देखा जिन्हें कोई शिक्षा नहीं मिल पा रही है।’ उन्होंने कहा, ‘मैं जब बवाना के शरणार्थियों के बारे में जाना तो मुझे भारत में बेघरों की समस्याओं को गहराई से जानने का मौका मिला। ये लोग लाल किले के पीछे यमुना पुश्ता इलाके में रहा करते थे।

कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान इनके स्लम उजाड़ दिए गए और इन्हें बेघर छोड़ दिया गया।’ रॉबिन ने बताया कि तब उन्होंने इलाके में बच्चों के लिए स्कूल, व्यावसायिक शिक्षा केंद्र और कुछ स्वयं सहायता समूह की स्थापना की। उन्होंने बताया कि बवाना में अब तक 1732 मकानों को शर्णार्थियों को सौंपा जा चुका है। अब दिल्ली-नोएडा में 6,000 मकान बनाने की योजना पर काम चल रहा है।

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