अयोध्या विवाद: श्री श्री ने की सीएम से मुलाकात, पक्षकारों को फॉर्म्युले का इंतजार

लखनऊ
अयोध्या विवाद के मुद्दे को आपसी सुलह-समझौते से सुलझाने के लिए अगुवा बने आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर की पहल को अयोध्या पहुंचने से पहले से विरोध का ब्रेकर लगता दिख रहा है। अयोध्या मसले को सुलझाने के लिए दोनों पक्षों से बातचीत करके समाधान निकालने में जुटे अध्यात्मिक गुरु बुधवार को प्रदेश की राजधानी पहुंचे। इसके बाद उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की।

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आधे घंटे तक चली मुलाकात के दौरान अध्यात्मिक गुरु ने अयोध्या मुद्दे को सुलझाने के लिए किए गए प्रयासों के साथ भविष्य की योजनाओं पर चर्चा की। सीएम से मुलाकात के बाद श्री श्री रविशंकर ने बताया कि भेंट अच्छी रही। रविशंकर ने सीएम के साथ इस विवाद के समाधान के तरीकों पर बात की।

प्रतिनिधि मंडल से की मुलाकात
अयोध्या विवाद को सुलह की पटरी पर सुलझाने में जुटे श्री श्री रविशंकर राजधानी में मुख्यमंत्री से मुलाकात करने के बाद श्री राम जन्म भूमि मंदिर निर्माण न्यास अयोध्या के राष्ट्रीय महासचिव अमरनाथ मिश्र के डालीगंज स्थित आवास पर भी गए। यहां पर उन्होंने आरएसएस, विहिप, शिवसेना के पदाधिकारियों के साथ सभी धर्मों के प्रतिनिधिमंडल से भी मुलाकात की।

सुलह समझौते पर लगा ब्रेक
श्री श्री रविशंकर के अयोध्या जाकर इस मसले के पक्षकारों से बात करने से पहले विरोध का ब्रेकर लगने लगा है। अयोध्या मामले की कोर्ट में सुन्नी वक्फ बोर्ड से पक्षकार इकबाल अंसारी ने बातचीत से इनकार कर दिया है। इसके पहले अयोध्या में अखाड़ा परिषद की ओर से बुलाई गई बैठक में भी सुन्नी वक्फ बोर्ड ने बातचीत से इनकार कर दिया था।

‘कोर्ट के फैसले का करेंगे इंतजार’
सुन्नी वक्फ बोर्ड के सुलह वार्ता के विरोध के फैसले का ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी समर्थन करते हुए बातचीत में हिस्सा लेने से इनकार कर दिया है। बोर्ड के अध्यक्ष यासूब अब्बास ने कहा कि हम कोर्ट के फैसले का इंतजार करेंगे। उन्होंने कहा कि कोर्ट के बाहर होने वाली बातचीत में श्री श्री रविशंकर की मध्यस्थता का हम स्वागत करते हैं लेकिन शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी की मध्यस्थता हमें स्वीकार नहीं है।

गौरतलब है वसीम रिज़वी, श्री श्री रविशंकर से मिलने बेंगलुरु गए थे। सुन्नी वक्फ बोर्ड के अलावा अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने भी आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर को निशाने पर लेते हुए कहा था कि वह संत नहीं हैं, जो उनकी बात को मान ही लिया जाए। उन्होंने यह तक कहा है कि राम मंदिर बनवाना रविशंकर के बस की बात नहीं।

श्री श्री रविशंकर द्वारा की जा रही पहल से अयोध्या विवाद मुद्दे पर पक्षकारों ने भी अलग-अलग राय रखी।

निर्मोही अखाड़ा के पक्षकार महंत दिनेन्द्र दास ने कहा श्रीश्री रविशंकर अगर अखाड़ा आते हैं तो उनका स्वागत है। रही बात फॉर्म्युले की तो उस विषय पर उनसे बात करने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है, अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी।

बाबरी मस्जिद के मुद्दई इकबाल अंसारी कहते हैं अभी तो हमने रविशंकर जी का नाम ही सुना है अगर वह हमारे यहां आते हैं तो उनका स्वागत है। जब तक फॉर्म्युला नहीं बताते तब तक कुछ कहना जल्दबाजी होगी अगर उनकी बात स्वागत योग्य होगी तो हम और मुस्लिम पक्ष उनकी बातों पर विचार करेंगे।

निर्वाणी अखाड़ा के महंत और पक्षकार महंत धर्मदास भी श्री श्री का अयोध्या आने पर स्वागत करते हैं। उनका कहना है कि कोई भी आए राम मंदिर निर्माण की बात करने को उसका स्वागत है। रही बात समझौते की तो हम लोगों का समझौता हो चुका है, वहां राम मंदिर बने इस पर दोनों पक्षों की इच्छा है।

श्री राम जन्म भूमि के प्रधान अर्चक सत्येंद्र दास ने कहा, ‘वह सम्मानित और चर्चित संत हैं, वह यहाँ पहले भी आ चुके हैं, उनसे राम मंदिर निर्माण की बात कही गई थी। सही दिशा में कुछ काम करें तो अच्छी बात है। रही बात दोनों पक्ष के मानने और ना मानने की तो वह उनके फॉर्म्युले पर निर्भर करता है। वह क्या कहते हैं दोनों पक्ष संतुष्ट होते हैं तो यह अच्छी बात है लेकिन पिछली बैठकों में देखा गया कि सुन्नी सेंट्रल बोर्ड किसी प्रकार के समझौते के पक्ष के लिए तैयार नहीं है।

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