अमेरिका को पर्मानेंट अड्रेस बनाने के लिए अप्लाई करने वालों में 75% भारतीय

वॉशिंगटन
अमेरिका में स्थायी निवासी का दर्जा प्राप्त करने के लिए कतार में शामिल प्रफेशनल्स में से तीन चौथाई संख्या भारतीयों की है। अमेरिका में वैध स्थायी निवास के दर्जे को ग्रीन कार्ड कहते हैं। अमेरिकी नागरिकता एवं आव्रजन सेवाओं (यूएससीआईएस) के ताजा आंकड़ों के अनुसार, मई 2018 तक रोजगार आधारित प्राथमिकता श्रेणी के तहत 3,95,025 विदेशी नागरिक ग्रीन कार्ड पाने की कतार में थे। इनमें से 3,06,601 भारतीय थे।

भारत के बाद इस लिस्ट में चीनी लोग दूसरे नंबर पर हैं। अभी 67,031 चीनी नागरिक ग्रीन कार्ड पाने का इंतजार कर रहे हैं। हालांकि, इसके अलावा किसी भी अन्य देश के ग्रीन कार्ड का इंतजार कर रहे लोगों की संख्या 10,000 से ज्यादा नहीं है। अन्य देशों में अल सल्वाडोर (7,252), ग्वाटेमाला (6,027), होंडुरास (5,402), फिलीपीन (1,491), मैक्सिको (700) और वियतनाम (521) है।

सिर्फ 7 फीसदी हकदार हर साल
मौजूदा कानून के तहत एक वित्त वर्ष में किसी भी देश के 7 फीसदी से ज्यादा नागरिकों को ग्रीन कार्ड नहीं दिया जा सकता, इसलिए भारतीयों को अमेरिका का स्थायी निवासी बनने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। स्थायी निवास में 7 फीसदी कोटे का सबसे बुरा असर भारतीय-अमेरिकियों पर पड़ा है। इनमें से ज्यादा भारतीय हाई स्किल वाले होते हैं और वे खासकर एच-1बी वर्क वीजा पर अमेरिका आते हैं। कोटे के कारण भारत के कौशल युक्त प्रवासियों के लिए ग्रीन कार्ड के इंतजार की अवधि 70 साल तक की हो सकती है।

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