अब हवाई यात्रा में भी बियर लगेगी स्वादिष्ट, हॉन्ग कॉन्ग की एयरलाइन्स कंपनी ने तैयार किया खास ब्रैंड
|उड़ान के दौरान यात्री अक्सर खाने और ड्रिंक्स के स्वाद को लेकर शिकायत करते हैं। इसके लिए एयरलाइन्स कंपनियों को जिम्मेदार ठहराया जाता है, लेकिन असल में इसके लिए एयरलाइन्स कंपनियां दोषी नहीं होतीं। कई शोधों के मुताबिक, ऊंचाई पर खाना कम स्वादिष्ट लगता है। शोर, हवा का निम्न दबाव, शुष्क हवा, प्लास्टिक के बर्तन और कपों के कारण भी यह समस्या हो सकती है। उड़ान के दौरान ऊंचाई पर हमारी ज्ञानेन्द्रियां अपना काम ठीक तरह से नहीं कर पाती हैं। अब हॉन्ग कॉन्ग की एक एयरलाइन्स कंपनी कैथे पसिफ़िक एक खास किस्म की बियर लेकर आया है। इस बियर को खास तरह से ब्रू किया गया है, जिसके कारण यह धरती से मीलों ऊंची उड़ानों के दौरान भी स्वादिष्ट लगेगी।
न्यू यॉर्क टाइम्स की एक खबर के मुताबिक, इस स्पेशल बियर में शहद और ‘ड्रैगन आई’ नाम के फल का इस्तेमाल किया गया है। कैथे पसिफ़िक की मार्केटिंग मैनेजर जूलियान लेडन ने बताया, ‘जब आप हवाई यात्रा कर रहे होते हैं, तो स्वाद की आपकी समझ बदल जाती है।’ ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी के प्रफेसर चार्ल्स स्पेंस ने इसका उदाहरण देते हुए बताया कि हवाई जहाज के पीछे की ओर से आना वाला शोर मीठे और नमकीन स्वाद को दबा देता है।
2010 में हुए एक शोध के मुताबिक, जमीन की तुलना में हवाई उड़ान के दौरान मीठे और नमकीन खाने को पहचानने और इसके स्वाद को परखने की हमारी क्षमता 30 फीसद तक कम हो जाती है। मीठा, नमकीन, खट्टा और कड़वा के अलावा जो पांचवा ‘उमामी’ स्वाद होता है, वह उड़ान के दौरान जीभ को अच्छा लगता है। जापानी रसोईए इस स्वाद का बहुत इस्तेमाल करते हैं। यही कारण है कि इस स्वाद वाली कुछ चीजें जो हमें जमीन पर उतनी अच्छी नहीं लगतीं, वे उड़ान के दौरान काफी स्वादिष्ट लगती हैं।
प्रफेसर स्पेंस का अनुमान है कि हवाई यात्रा के दौरान उमामी स्वाद के अच्छे लगने का कारण हमारे पूर्वजों से भी जुड़ा हो सकता है। उनके मुताबिक, जब आदिम मानवों का सामना जानवरों से होता होगा या फिर वे परेशान होते होंगे, तो वे उमामी स्वाद वाली चीजें खाते होंगे। इसके कारण काफी लार आती है। इससे उन्हें भागने या फिर लड़ने की ऊर्जा मिलती होगी। हवाई यात्रा के दौरान होने वाले शोर से लोगों में डर बढ़ जाता है और शायद यही वजह है कि उन्हें भी उमामी स्वाद भाता है।
निम्न आद्रता और दबाव के कारण हमारी इंद्रियों की स्वाभाविक क्रिया भी प्रभावित होती है। 3,000 फुट की ऊंचाई पर कैबिन की हवा रेगिस्तानी इलाकों के मुकाबले ज्यादा शुष्क होती है। शुष्कता के कारण हमारे सूंघने की शक्ति काफी कम हो जाती है। इसके कारण ज्ञानेन्द्रियों द्वारा दिमाग को भेजे जाने वाले संकेत भी प्रभावित होते हैं। कुछ एयरलाइन्स ने उड़ान के दौरान होने वाले इन स्वाभाविक बदलावों को कम कर चीजें सामान्य करने की कोशिश भी की है। इसके लिए उड़ान के दौरान धीमा संगीत बजाने और आवाज करने वाले प्लेट्स और ग्लासों का इस्तेमाल करने जैसी तरकीबें इस्तेमाल की जाती हैं। यह भी पाया गया है कि ऊंचाई वाले क्षेत्रों में उगने वाले अंगूरों से बनी वाइन उड़ान के दौरान बाकी ड्रिंक्स के मुकाबले बेहतर लगती है।
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