अब यूं आपसे सर्विस चार्ज वसूल रहे हैं रेस्ट्रॉन्ट्स

नई दिल्ली
रेस्ट्रॉन्ट्स ने सर्विस चार्ज को ग्राहक की इच्छा पर निर्भर बताने वाली केंद्रीय गाइडलाइंस का पालन तो शुरू कर दिया है, लेकिन अपनी कमाई पर कोई चपत नहीं लगने दी है। कुछ रेस्ट्रॉन्ट अब बिल में सर्विस चार्ज तो नहीं दिखा रहे, लेकिन उन्होंने लगभग उतनी ही रकम फूड प्राइस में बढ़ा दी है। उनका कहना है कि स्टाफ के कॉन्ट्रैक्ट में सर्विस चार्ज को सेल्स के रूप में शामिल किया गया है, जिसका एक हिस्सा उन्हें देना ही होगा। हालांकि इंडस्ट्री असोसिएशंस जीएसटी रेट्स फाइनल होने के बाद ही कोई आधिकारिक रुख जाहिर करेंगी, लेकिन उन्होंने सरकार को भरोसा दिलाया है कि सर्विस चार्ज के लिए किसी ग्राहक को परेशान नहीं किया जाएगा।

शुक्रवार को सरकारी गाइडलाइंस आने के बाद कई रेस्ट्रॉरंट चेन ने अपने ब्रांचेज में ऐसे नोटिस या बोर्ड लगाने शुरू कर दिए हैं, जिसमें लिखा है कि सर्विस चार्ज देना आपकी मर्जी पर है। कुछ रेस्ट्रॉन्ट बिल में सर्विस चार्ज के सामने ब्लैंक छोड़कर ग्राहक को दे रहे हैं और उनकी मर्जी से दी गई रकम की एंट्री कर रहे हैं, लेकिन वहीं रेग्युलर विजिट करने वाले ग्राहकों का कहना है कि कई फूड आइम्स के दाम 8 से 10 पर्सेंट तक ज्यादा लिए जा रहे हैं।

सीपी में एक रेस्ट्रॉन्ट चेन के मैनेजर ने बताया, ‘हमारे ज्यादातर स्टाफ की सैलरी पैकेज में सर्विस चार्ज को सेल्स कंपोनेंट के रूप में शामिल किया गया है, जिसका एक हिस्सा उन्हें मिलता है। अगर इसे खत्म कर दें तो बहुतों को मिनिमम वेज से ज्यादा नहीं मिल पाएगा और वे तुरंत नौकरी छोड़ देंगे। ऐसे में हमारे पास इस रकम को प्राइस लिस्ट में जोड़ने के अलावा कोई चारा नहीं है।’

अगर आप दिल्ली के किसी रेस्ट्रॉन्ट में 1000 रुपये का खाना खाते हैं, तो उसकी बिलिंग कुछ इस तरह होती है। 1000 पर 10 पर्सेंट सर्विस चार्ज यानी कुल 1100 रुपये । इस पर 12.5 पर्सेंट वैट और इसके 40 पर्सेंट हिस्से पर 15 पर्सेंट केंद्रीय सर्विस टैक्स ( 66 रुपये) लगता है। इस तरह कुल भुगतान 1303 रुपये करना होता है, लेकिन फूड आइटम के दाम 10 पर्सेंट बढ़ाने के बाद बिल से सर्विस चार्ज भले ही गायब हो जाए, ग्राहक को लगभग उतनी ही रकम देनी पड़ेगी।

फेडरेशन ऑफ होटल ऐंड रेस्ट्रॉन्ट असोसिएशन ऑफ इंडिया के वाइस प्रेजिडेंट गिरीश ओबेरॉय ने बताया, ‘ओपन मार्केट में हम किसी के रेट बदलने से नहीं रोक सकते। जहां तक सर्विस चार्जेज की बात है, हम सरकार के संपर्क में हैं और हमने मंत्रालय को भरोसा दिलाया है कि यह किसी ग्राहक पर थोपा नहीं जाएगा।’ लेकिन साथ ही उन्होंने कहा कि देश में कोई ऐसा कानून नहीं है, जो सर्विस चार्ज लेने से रोकता हो। अगर सरकार कानून बनाए तो कोई इसे नहीं ले पाएगा।

इस मामले पर कानूनी लड़ाई में पार्टी रही नैशनल रेस्ट्रॉन्ट असोसिएशन ऑफ इंडिया के सेक्रटरी जनरल प्रकुल कुमार ने टिप्पणी से इनकार किया, लेकिन एक अन्य पदाधिकारी और रेस्ट्रॉन्ट चेन के मालिक ने कहा कि चूंकि दो महीने बाद ही जीएसटी लागू होना है, इसलिए इंडस्ट्री इस मुद्दे पर खामोश है। उन्होंने कहा, ‘हम जीएसटी रेट्स फाइनल होने का इंतजार कर रहे हैं। वैसे आज सर्विस चार्जेज की जो स्थिति है, वह तो जीएसटी में भी जारी रह सकती है, क्योंकि यह कानूनन कोई टैक्स नहीं है, जो वैट और सर्विस टैक्स की तरह जीएसटी में समाहित होने जा रहा है।’ दिल्ली सरकार के लग्जरी टैक्स डिपार्टमेंट के एक अधिकारी ने बताया कि उनकी ओर से एक ऑर्डर जारी कर सभी रेस्ट्रॉन्ट्स को स्पष्ट और बड़े अक्षरों में बोर्ड लगाने को कहा गया है कि सर्विस चार्ज स्वैच्छिक है। जरूरत पड़ने पर विभाग अपनी तरफ से इसे लागू कराएगा।

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