हमारे छात्र जब प्राचीन ग्रंथों से परिचित होंगे तो ही भारतीय संस्कृति को समग्रता में समझ पाएंगे। भारत अपनी जड़ों से जितना अधिक जुड़ेगा उतना ही उसमें आत्मगौरव