DUSU चुनाव का रिजल्ट आज, किसे मिलेगी जीत?
| भूपेंदर शर्मा, नई दिल्ली नतीजों को लेकर इस बार छात्र संगठन टेंशन में नजर आ रहे हैं। इस बार सबके सामने अलग चुनौती है। जहां एबीवीपी को पिछले साल मिली ऐतिहासिक जीत को फिर से दोहराने की टेंशन है, वहीं एनएसयूआई यूनिवर्सिटी की राजनीति में नए सिरे से वापसी करना चाहती है। पहली बार चुनाव में उतरी आम आदमी पार्टी की स्टूडेंट विंग सीवाईएसएस से से बड़ी उम्मीद लगाई जा रही है। सीवाईएसएस के लिए ये नतीजे भविष्य के लिए अहम साबित होंगे। लेफ्ट संगठन आइसा ने पिछले साल चॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम के खिलाफ बड़ा आंदोलन किया था। नतीजे बताएंगे कि उसके आंदोलन का स्टूडेंट्स पर कितना असर पड़ा। वोटिंग के बाद छात्र संगठन अपनी-अपनी जीत के दावे तो कर रहे हैं, लेकिन नेताओं का कहना है कि मुकाबला कड़ा होगा। कहा जा रहा है कि इस बार जीत- हार का अंतर पिछले सालों के मुकाबले कम होगा। वोटिंग पैटर्न को देखें तो हर छात्र संगठन अपने हिसाब से आकलन कर रहा है। डीयू में आमतौर पर 43 से 45 पर्सेंट के बीच वोटिंग होती है। जहां कैंपस कॉलेजों में आइसा को काफी वोट मिलते हैं, वहीं आउट ऑफ कैंपस कॉलेजों में एनएसयूआई और एबीवीपी को काफी वोट मिलते हैं। इस बार सीवाईएसएस पुराने छात्र संगठनों के वोट बैंक में सेंध लगा रहा है। देखना दिलचस्प होगा कि किसे कितने वोट मिलते हैं। कैंपस कॉलेजों में इस बार अच्छी वोटिंग हुई है। जानकार बताते हैं कि आइसा और सीवाईएसएस को कैंपस में फायदा हो सकता है, वहीं आउट ऑफ कैंपस कॉलेजों में लेफ्ट संगठन का इतना ज्यादा असर देखने को नहीं मिलता। एनएसयूआई का दावा है कि उसे इस बार काफी कॉलेजों में जीत मिली है। कॉलेज यूनियन के चुनाव में जीत हासिल होने से डूसू चुनाव में भी संगठन की उम्मीद बढ़ी है। एबीवीपी के छात्र नेता रोहित चहल का कहना है कि संगठन को इस बार भी चारों सीटों पर जीत मिलेगी। सूत्रों की मानें तो प्रेजिडेंट पोस्ट पर सबसे कड़ा मुकाबला हो सकता है। शनिवार की दोपहर को ही यह साफ होगा कि कौन से छात्र संगठन को स्टूडेंट्स का सपोर्ट मिला है। पिछले साल आइसा का वोट शेयर काफी बढ़ा था और इस बार आइसा के वोट बैंक में भी सेंध लग सकती है।
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