AAP की हार से रिलैक्स्ड हैं MCD के अधिकारी
|तीनों एमसीडी में बीजेपी को जबर्दस्त बहुमत मिलने से पार्टी के नेता और कार्यकर्ता तो गदगद हैं ही, एमसीडी अफसर भी खासे रिलैक्स नजर आ रहे हैं। वे इस बात से घबराए हुए थे कि अगर एमसीडी में आम आदमी पार्टी सत्तारूढ़ हो गई तो उनका हाल भी वही होगा, जो दिल्ली सरकार के अफसरों का हो रहा है। ये अधिकारी इस बात से भी खुश हैं कि बीजेपी के पुराने पार्षदों से भी उन्हें मुक्ति मिल गई है और आए सभी नए पार्षदों के साथ काम करने में उन्हें किसी प्रकार की परेशानी नहीं होगी।
पिछले एक-दो माह से एमसीडी मुख्यालय सिविक सेंटर में अधिकारी इस बात पर मंत्रणा कर रहे थे कि दिल्ली के लोगों ने विधानसभा चुनाव में जिस प्रचंड बहुमत से आप को जिताया है, वैसा बहुमत एमसीडी में भी देखने को मिल सकता है। वे ये तो मान रहे थे कि अगर तीनों एमसीडी नहीं तो कम से कम एक एमसीडी पर तो आप सत्ता में जरूर आएगी, लेकिन यहां तो उसका सूपड़ा ही साफ हो गया। असल में ये अधिकारी मान रहे थे कि एमसीडी और आप की कार्यप्रणाली में छत्तीस का आंकड़ा है और आप के आने पर उनका भी वही हाल न हो जाए, जैसा दिल्ली सरकार में अधिकतर अफसरों का है।
सिविक सेंटर में बैठे कई अफसरों से उनके दिल की बातें पूछी तो उन्होंने कहा कि अब वे तनावमुक्त हैं। उनका कहना था कि सिविक सेंटर में कई कमरे खाली पड़े हुए हैं। उन्होंने डर था कि आप के आने पर वहां उनका कब्जा हो जाता और आप द्वारा अपने वॉलंटिअरों को एमसीडी में कॉन्ट्रैक्ट पर ले आने के बाद वहां का नजारा बदल जाता और वे अफसरों को नसीहत देने लगते। असल में आप के सत्तारूढ़ होने के बाद अफसरों व उनमें टकराव होना ही था, उसका कारण यह था कि यहां कई विभाग ऐसे हैं, जिनकी कार्यकारिणी हमेशा सवालों के घेरे में रहती है। आप उसे ‘सुधारने’ की कोशिश करती, जिसके बाद बवाल मचता।
एमसीडी अफसर इस बात से भी खासे खुश हैं कि तीनों एमसीडी में नए नेता चुनकर आए हैं। उनका कहना है कि इन नए पार्षदों को अपना पक्ष वे आसानी से समझा पाएंगे, इसके अलावा किसी प्रॉजेक्ट को जल्द पूरा करने में उनका सहयोग भी बिना संकोच के लिया जा सकेगा। वे इस बात से खुश हैं कि पिछले तीन साल से एमसीडी में बीजेपी के कुछ खास नेताओं ने कब्जा किया हुआ था और वे अपना हित साधने में लगे हुए थे। उनका साथ कुछ स्वार्थी अफसर भी दे रहे थे। लेकिन अफसर मानते हैं कि जो काम करना चाहेगा, उसे इस बार आसानी रहेगी। उसका कारण यह है कि एमसीडी को सुधारने की वकालत बीजेपी के बड़े नेता भी करने लगे हैं।
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