एक्टर बनने के लिए डॉक्टरी छोड़ी:सीरीज ‘चिड़िया उड़’ में सेक्स वर्कर का रोल मिला, किरदार समझने के लिए रेड लाइट एरिया गईं भूमिका मीना
|भूमिका मीना इंडस्ट्री की एक उभरती हुई सितारा हैं। फिलहाल वो अमेजन MX प्लेयर के शो में ‘चिड़िया उड़’ में लीड रोल में नजर आ रही हैं। इस शो में भूमिका को जैकी श्रॉफ, मीता वशिष्ठ और सिकंदर खेर जैसे दिग्गज कलाकारों के साथ काम करने का मौका मिला है। दैनिक भास्कर से बातचीत में भूमिका ने डॉक्टर से एक्टर बनने तक की अपनी जर्नी शेयर की है। भूमिका से बातचीत का प्रमुख अंश… सवाल- ‘चिड़िया उड़’ में आपका किरदार सेक्स वर्कर का होता है। रोल की तैयारी और चुनौतियों के बारे में बताएं। जवाब- मेरा मानना है कि बतौर एक्टर हमारी तैयारी रोल मिलने के बहुत पहले शुरू हो जाती है। जब मैंने तय किया था कि मुझे एक्टर बनना है, उस वक्त मैंने सोच लिया था कि मुझे बैकअप में कुछ नहीं रखना। मुझे सिर्फ एक्टिंग पर फोकस करना है। मैंने अलग-अलग टीचर के साथ ट्रेनिंग ली है। सहर का किरदार के लिए मैंने बहुत रिसर्च किया है। रिसर्च में मुझे कई शॉकिंग चीजें पता चली। मैंने दो-तीन बार कमाठीपुरा भी गई थी। कोविड की वजह से ऑन फील्ड बहुत रिसर्च नहीं कर पाई। सेक्स वर्कर को लेकर मेरी जो समझ बनी, उसमें ऑनलाइन रिसर्च और डॉक्यूमेंट्री का रोल ज्यादा है। मेरी मां गांव में रही हैं, उन्होंने भी मुझे कई किस्से बताए। इस रोल को निभाने में कई चुनौतियां मिली लेकिन जब आप नए होते हैं तो वो चैलेंज भी आपको एक्साइटमेंट देते हैं। सवाल- एक्टर बनना है ये आपने कब तय किया? जवाब- मैं हमेशा से एक्टर बनना चाहती थी। लेकिन जयपुर में इसे लेकर सोचती नहीं थी। पेरेंट्स के इनफ्लुएंस में मैंने डॉक्टरी की पढ़ाई कर ली। जयपुर जैसी जगह पर लोग एक्टर को एक्टर नहीं हीरो-हीरोइन की तरह देखते हैं। लेकिन एक्टर बनने की हिम्मत मेरे अंदर दिल्ली आने के बाद आई। जब मैं इंडिपेंडेंट रहने लगी। मेरा बचपन अच्छा रहा, मेरी पढ़ाई देश के नामी स्कूल-कॉलेज में हुई। मैं पढ़ाई, डांस, पब्लिक स्पीकिंग, डिबेट सब में अच्छी थी। मैं अपनी क्लिनिक में फेमस भी रही। सब कुछ सही होने के बाद भी मैं अंदर से खुश नहीं थी। मुझे अपने एम्बिशन में कुछ मिसिंग लग रहा था। मैं उस कंफ्यूजन को समझने के लिए विपश्यना गई। मुझे इससे अपने एम्बिशन को लेकर क्लैरिटी मिली। मैं कॉलेज के दौरान भी थियेटर करती थी लेकिन विपश्यना के बाद मैंने थियेटर को गंभीरता से लिया। मैंने एक्टिंग की बारीकियों को, ऑडिशन कैसे होता है, दिल्ली में कौन कास्टिंग डायरेक्टर है, ये सब पता करना शुरू किया। कुछ इस तरह मेरी एक्टिंग जर्नी की शुरुआत हुई। सवाल- जब आपने पेरेंट्स को बताया कि आपको एक्टिंग करनी है और मुंबई जाना है, तो क्या रिएक्शन था? जवाब- एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करने के बाद, मैंने तय कर लिया कि अब एक्टिंग ही करनी है। कोई बैकअप नहीं रखना मुझे फिर मैंने अपने पैरेंट्स को बताया। और उनका रिएक्शन मैं क्या बताऊं? चीजें मेरे लिए आसान नहीं थी। मेरे मां-बाप दोनों डॉक्टर हैं। उनके लिए एक्टिंग कभी करियर नहीं हो सकता है। वो मेरे फैसले से शॉक्ड हो गए थे। उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि कोई बना-बनाया करियर कैसे छोड़ सकता है। मैंने अपनी मां को अपनी वजह से रोते देखा। मैं घर का वो बच्चा थी, जिसका एग्जांपल दूसरे बच्चों को दिया जाता था। लेकिन एक इस फैसले से मैं उनके लिए बड़ी निराशा बन गई थी। लेकिन मैं एक्टिंग के लिए इतनी पैशनेट थी कि मैंने उन्हें मनाए बिना मुंबई शिफ्ट हो गई। आज जब मैंने लीड रोल कर लिया उसके बाद भी मेरी मां मुझे पीजी करने की सलाह देती हैं। पेरेंट्स अब भी मेरी च्वाइस से कन्विंस नहीं हैं। सवाल- मुंबई आने के बाद का आपका अनुभव कैसा रहा? जवाब- शुरुआत में मैंने भी वही सारे चैलेंज फेस किए जो कोई भी नए शहर में आकर करता है। मैं दिल्ली से 6 महीने की सेविंग्स लेकर आई थी। शुरू में मैंने शेयरिंग में जैसे-तैसे एक घर ढूंढा। फिर वहां कुछ ऐसा हुआ कि मुझे घर छोड़ना पड़ा। मैं कहां जाऊं, मेरे पास कोई ऑप्शन नहीं था। फिर लॉकडाउन का आना, पेरेंट्स से सपोर्ट नहीं मिलना, ऑडिशन में रिजेक्ट होना ये सारी चीजें चल रही थीं। इन सबके बाद भी मुंबई मुझे अपनी जगह लग रही थी। रिजेक्ट तो मैं आज भी होती हूं लेकिन मैं इन सारी चीजों को लेकर पहले भी तैयार थी और आज भी हूं। सवाल- आपको अपना पहला ब्रेक कब मिला? जवाब- मुंबई आने के साढ़े तीन साल बाद मुझे मेरी पहली शॉर्ट फिल्म ‘चूहेदानी’ मिली। उससे पहले मैंने छोटे-मोटे एड ही किए थे। लेकिन पहला एड फिल्म मिलने का किस्सा बड़ा मजेदार है। मैं मालाड में 5-6 लड़कियों के साथ रूम शेयर करती थी। ऐसे में मैं एक दिन फ्लैट ढूंढने निकली। बतौर एक्टर मैं अपने बैग में फॉर्मल, इंडियन और कैजुअल कपड़े साथ लेकर निकलती थी कि पता नहीं कब कॉल आ जाए। मैं ऑटो में थी, तभी मुझे एक मैसेज आया कि हम ऑडिशन कर रहे हैं, आप आ जाओ। मुझे मुंबई आए हुए अभी बस 3-4 दिन हुए थे। मैं जब ऑडिशन के लिए पहुंची तो एक छोटे से कमरे में 50-60 लोग थे। मुझे कहा गया कि आपका लुक कैरेक्टर के हिसाब से सही लग रहा है। फिर मैंने ऑडिशन दिए और मैं सेलेक्ट हो गई। फिर उसके बाद मुझे लंबे समय तक काम नहीं मिला। सवाल- आपने ‘चिड़िया उड़’, ‘दुकान’, ‘स्लम गोल्फ’, ‘चूहेदानी’ जैसे प्रोजेक्ट में काम किया। आपको लगता है शुरुआत अच्छी हुई है? जवाब- हां, मैं इस बात के लिए काफी शुक्रगुजार हूं। सहर का रोल एक्ट्रेसेस को बहुत काम करने के बाद मिलता है। मैं लकी हूं कि करियर के पांच साल के अंदर ही ये करने का मौका मिला। वो भी जैकी श्रॉफ, सिकंदर खेर, मीता वशिष्ठ जैसी दिग्गज एक्टर के साथ। जैकी सर से मैंने सीखा कि लोगों के लिए दिल बड़ा रखना चाहिए। वो इतने बड़े स्टार होने के बाद भी वो इतने अपनापन के साथ मिलते हैं। मुझे लगता है कि इंडस्ट्री ने मुझे बड़े प्यार से अपनाया है। सवाल- फ्यूचर में अपने आप को कहां देखती हैं? जवाब- मेरे सपने बहुत बड़े हैं। जब मेडिकल छोड़ रही थी तब बहुत डरी थी लेकिन अब आजाद महसूस करती हूं। मुझे एक्टिंग में नई ऊंचाइयां सेट करनी है। ‘चिड़िया उड़’ ने मेरे करियर को नई उड़ान दी है। जल्द ही मेरा एक और प्रोजेक्ट आनेवाला है, जिसे लेकर मैं बहुत एक्साइटेड हूं।