संजय दत्त 65 के हुए:सेट पर नशा किया तो दिलीप कुमार ने डांटा था, जेल में मक्खी निकालकर पी जाते थे दाल

संजय दत्त आज अपना 65वां जन्मदिन मना रहे हैं। 43 साल के फिल्मी करियर में करीब 180 फिल्मों में काम कर चुके संजय मशहूर बॉलीवुड स्टार्स सुनील दत्त और नरगिस के बेटे हैं। करियर की तरह संजय की पर्सनल लाइफ भी कई उतार-चढ़ाव से गुजरी। यंग एज में ही ड्रग्स की लत लगी। डेब्यू फिल्म से पहले ही मां का निधन हो गया। फिर मुंबई बम ब्लास्ट केस में नाम आया तो 5 साल जेल में बिताए। 61 साल की उम्र में चौथी स्टेज के लंग कैंसर का पता चला। इन सभी मुश्किलों से लड़ते हुए संजय आज भी मुस्कुराते हुए जिंदगी जी रहे हैं। संजय के इस जन्मदिन पर दैनिक भास्कर ने उनसे जुड़े तीन लोगों से बात की और जाना कि उन्होंने अपनी जिंदगी की इन मुश्किलों का सामना कैसे किया… सेट पर शरारतें करते हैं संजू: रजा मुराद, अभिनेता ‘संजय के साथ मैंने पहली बार ‘मेरा हक’ नाम की फिल्म में काम किया था। इसके अलावा हमने ‘इनाम 10 हजार’, ‘कानून अपना अपना’, ‘सफारी’ और ‘सरहद पार’ जैसी फिल्में भी कीं। सेट पर संजू बहुत ही ज्यादा मजाकिया रहते हैं। वो हंसते-खेलते हुए अपना काम कर जाते हैं। इतना सब झेलने के बाद भी सेट पर संजू कभी किसी को यह महसूस नहीं होने देते थे कि उनकी लाइफ में कितने अप्स एंड डाउन्स हैं।’ हम जहां रहते थे उसके पास ही मानेक जी कूपर स्कूल था, जहां संजय बचपन में पढ़ते थे। हम वहां एक फंक्शन देखने गए तो वहां फैंसी ड्रेस कॉम्पिटिशन में संजय दत्त पठान के लुक में स्टेज पर आए थे। उस जमाने में ‘काबुलीवाला’ फिल्म आई थी तो संजय ने उसी लुक को कॉपी किया था। संजू को बंदूकों और शिकार खेलने का भी बहुत शौक रहा है, तो अक्सर भोपाल और लखनऊ जाकर शिकार भी खेलते थे। पूरी इंडस्ट्री को संजय से हमदर्दी थी हम सब जानते हैं कि संजू का नाम मुंबई ब्लास्ट में भी आया था। हालांकि, उस पूरे दौर में इंडस्ट्री के लोगों के मन में संजू के लिए हमदर्दी थी। हम सभी जानते थे कि संजू ने जो भी किया है नादानी में किया है। सभी को पता था कि दत्त साहब कितने सीधे और सच्चे इंसान थे। जिस चीज के लिए मैं संजय की तारीफ करूंगा वो है उनकी विल पॉवर। जो इन्होंने अपने ड्रग्स की लत पर कंट्रोल किया वो वाकई काबिल-ए-तारीफ है, क्योंकि यह आसान भी नहीं और हर कोई इसे कर भी नहीं पाता। इंडस्ट्री ने भी संजू को दूसरा चांस दिया और संजू ने कमबैक करने के बाद कभी दोबारा ड्रग्स की तरफ नहीं देखा।’ संजू अपनी मां के साथ हमारे होटल आते थे: राशिद हकीम, संजय के दोस्त ‘मेरी संजय से पहली बार मुलाकात 1986 में हुई थी। संजय के साथ मेरा एकदम फैमिली जैसा नाता रहा है। वो मुझे अपने छोटे भाई की तरह मानते हैं। वो हमारे होटल पर बचपन से आ रहे थे। उनकी मां उन्हें हमारे यहां लेकर आती थीं। वो आज भी हमारे यहां की निहारी के शौकीन हैं। एक बार मैंने उनको चिकन व्हाइट बिरयानी खिलाई। तब उन्होंने मुझे एक रेसिपी बताई और उस रेसिपी पर मैंने अपने होटल में चिकन संजू बाबा नाम से चिकन बनाकर बेचना शुरू कर दिया। वो बब्बर शेर हैं। उनकी पर्सनालिटी बहुत स्ट्रॉन्ग है। यहां तक कि मैं भी अपनी लाइफ का कोई किस्सा उनसे शेयर करता हूं तो वो मुझे उल्टा मोटिवेट कर देते हैं। कई बार उन्होंने मुझसे अपने जेल के एक्सपीरिएंस शेयर किए थे। कहते थे कि यार वहां बहुत तकलीफ होती थी। खाना बनाता था, काम करता था, पर जो सबसे मुश्किल चीज थी वो थी वहां की गंदगी को झेलना। मुझे आज भी याद है कि वीटी स्टेशन पर ‘पीके’ की शूटिंग चल रही थी। अगले दिन उनको जेल जाना था पर उसके बावजूद भी वो अपने आप को मेंटली स्ट्रॉन्ग रखकर शूट कर रहे थे। जब हमसे मिले तो उनकी आंखों से आंसू निकल आए। जेल जाने के बाद संजय बहुत टफ हो गए। दरअसल अंदर की लाइफ जो है बहुत मुश्किल होती है और उसने उन्हें बहुत टफ बना दिया। फैमिली और वर्कआउट के बिना अधूरे हैं संजय आज संजू की लाइफ में दो ही चीजें हैं- फैमिली और वर्कआउट। वो लाइफ के इस स्टेज में फैमिली के काफी करीब हो गए हैं। कहते हैं कि लाइफ में पत्नी और बच्चों के अलावा कुछ नहीं रखा। और वर्कआउट की बात करूं तो उसके बिना तो वो अधूरे हैं।’ कैंसर से जूझते हुए भी वो फुल मोटिवेटेड रहते थे- सुनील शर्मा, फिटनेस ट्रेनर ‘संजय से जब मैं पहली बार मिला था तब मेरे पास उनसे कहने के लिए कुछ शब्द ही नहीं थे। वो मुझसे काफी बड़े हैं पर उसके बावजूद भी वो मुझे पूरी रिस्पेक्ट देते थे। मैं दुबई में रहता था और वो उस वक्त अमेरिका में थे। उनसे ज्यादा मेरा फोकस उनके बच्चों और वाइफ को ट्रेन करने पर रहता था। वो बहुत फूडी हैं और पार्टीज के भी बड़े शौकीन हैं, पर उन्हें कभी भी किसी चीज के लिए टोकना नहीं पड़ा। वो बिना डॉक्टर के गाइडेंस के कुछ भी नहीं खाते थे। वो खुद भी बहुत अच्छे से अपना ख्याल रखते हैं। संजू रोज बैडमिंटन जरूर खेलते हैं उनके साथ काम करते वक्त बस उन्हें थोड़ा सा पुश करना हाेता है। बाकी वो अपने हिसाब से ही वर्कआउट करते हैं। वो ENS ट्रेनिंग पर ज्यादा फोकस करते हैं। सूट पहनकर को स्ट्रेंथ ट्रेनिंग काफी करते हैं। इसके अलावा वो हर रोज बैडमिंटन जरूर खेलते हैं, खुद को फिट रखने के लिए।’ ग्राफिक्स: अंकलेश विश्वकर्मा और महेश वर्मा

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