राज्यसभा में अगले हफ्ते होगी सरकार की अग्निपरीक्षा
| अगले हफ्ते राज्यसभा में सरकार के फ्लोर मैनेजमेंट की ताकत की परीक्षा होने जा रही है। विपक्षी दलों के बहुमत वाले राज्यसभा में अगले हफ्ते इंश्योरेंस, कोल माइंस और लैंड ऑर्डिनेंस समेत कई अन्य महत्वपूर्ण इकनॉमिक बिल को पेश किया जाना है। पिछले हफ्ते राज्यसभा में भ्रष्टाचार और विदेश में जमा काले धन के मामले को लेकर सरकार को पटखनी देने के बाद से विपक्षी दलों की एकता को नई ताकत मिली है। ऐसे में आने वाले दिनों में सरकार के महत्वपूर्ण विधेयकों के खिलाफ विपक्षी दलों की घेरेबंदी और मजबूत हो सकती है। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, वामपंथी दल, समाजवादी पार्टी, जेडी-यू, डीएमके, एनसीपी और बीजेडी जैसे दल हमेशा ही एक दूसरे के खिलाफ आग उगलते रहे हैं लेकिन पिछले हफ्ते इन दलों ने जिस तरह से एकजुट होकर सरकार को घेरा, उसे देखते हुए सत्ताधारी पार्टी के लिए फ्लोर मैनेजमेंट6 बड़ा मसला बन गया है। ऐसा नहीं होने की स्थिति में सरकार को एक बार फिर से बड़ा झटका लग सकता है। दूसरी तरफ इन बिलों को लेकर इंडस्ट्री और इनवेस्टर्स की उम्मीदें बढ़ गई है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार किस तरह से विपक्ष की एकजुटता में फूट डालते हुए कुछ क्षेत्रीय दलों को अपने पाले में लाने में सफल होती है। कांग्रेसी सांसदों ने लोकसभा में इंश्योरेंस बिल पर मतदान नहीं किया। इसके बाद कई लोगों को लगने लगा है कि सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी अगले हफ्ते राज्यसभा में इस बिल के खिलाफ मोर्चा खोल सकती है। वास्तव में तृणमूल, समाजवादी पार्टी, आरजेडी और जेडी-यू खुले तौर पर इंश्योरेंस और लैंड बिल का विरोध कर रहे हैं और कांग्रेस पहले से ही लैंड बिल को लेकर सरकार के खिलाफ आक्रामक रुख अख्तियार कर चुकी है। राज्यसभा में विपक्ष के एक सांसद ने कहा, ‘हमें ऐसा क्यों नहीं करना चाहिए?’ उन्होंने कहा, ‘एनडीए सरकार के साथ वैसा ही व्यवहार होगा, जैसा उसने विपक्ष के साथ किया है। आंख के बदले आंख, धमकी के बदले धमकी और अपमान के बदले अपमान।’ उन्होंने कहा, ‘सरकार को आदर और सम्मान के साथ विपक्षी दलों से संपर्क करना चाहिए। विपक्ष के साथ सकारात्मक तरीके से बाचतीत से कोई नतीजा निकलेगा। पिछले हफ्ते राज्यसभा में सरकार का रुख कहीं से भी ऐसा नहीं था। यहां तक कि विपक्ष के कई बड़े नेता को अपनी बात रखने और सवाल पूछने का मौका तक नहीं दिया गया। प्रधानमंत्री अपना भाषण देकर चलते बने।’ विपक्ष इंश्योरेंस बिल को लेकर दोतरफा रणनीति पर काम कर रहा है। सबसे पहले तो वह इस बिल को राज्यसभा में पेश किए जाने का विरोध करेगा क्योंकि जब बिल राज्यसभा में पहले से पेंडिंग था तो फिर सरकार को इसे लोकसभा में पास कराने की क्या जरूरत थी। दूसरा अगर सरकार चेयर की तरफ से इस बिल को पेश करने की कोशिश करती है तो विपक्ष चेयर को बिल का जिक्र करने के लिए दबाव बनाएगा। जैसा कि किसी नए बिल के मामले में होता है। कांग्रेस भी अन्य दलों के साथ मिलकर इंश्योरेंस बिल पर सरकार को घेरने के मूड में हैं क्योंकि उसे लगता है कि इससे लैंड बिल के खिलाफ उसे अन्य दलों का समर्थन मिलेगा।
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